एससीओ सम्मेलन: मोदी ने रखा भारत का बेबाक पक्ष, पुतिन संग मुलाकात से अमेरिका को सीधा संदेश

एनआईए, डिजिटल डेस्क।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस आत्मविश्वास और स्पष्टता से भारत की स्थिति रखी, वह दर्शाता है कि अब भारत किसी भी मंच पर दबाव में आकर अपनी नीति तय नहीं करेगा। यह भारत की “स्वतंत्र विदेश नीति” (Strategic Autonomy) का मजबूत उदाहरण है।

अमेरिका को सीधा संदेश

सम्मेलन से इतर पुतिन और मोदी का एक कार में बैठकर बैठक के लिए जाना प्रतीकात्मक रूप से बताता है कि भारत अमेरिका या पश्चिमी दबाव में आकर रूस से अपने रिश्ते कमजोर नहीं करेगा। अमेरिका का आरोप रहा है कि रूस से तेल खरीदकर भारत अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध को ताकत दे रहा है, लेकिन भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि “राष्ट्रीय हित सर्वोपरि” हैं।

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मोदी की कूटनीतिक छवि बनाम ट्रंप

मोदी हर बार युद्ध को गलत बताते हुए शांति का पक्ष रखते हैं और रूस-यूक्रेन दोनों पक्षों से संवाद करते हैं। रूस भी मोदी की बातों को गंभीरता से लेता है, यह भारत की बढ़ती वैश्विक साख का सबूत है।

डोनाल्ड ट्रंप जहां शांति की बात करते हैं, वहीं उनकी आलोचना यह है कि वह शांति को अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वार्थ से जोड़कर देखते हैं (जैसे नोबेल पुरस्कार की चाह)।

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 भविष्य की दिशा

अगर मोदी-पुतिन की बातचीत से युद्धविराम या शांति प्रक्रिया में कोई सकारात्मक संकेत आता है, तो यह अमेरिका (खासतौर पर ट्रंप) के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी। इससे भारत की भूमिका “सिर्फ उपभोक्ता” से बढ़कर “वैश्विक शांति मध्यस्थ” (Global Peace Mediator) के रूप में सामने आ सकती है।

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