अयोध्या/बलरामपुर, एनआईए संवाददाता।
स्वास्थ्य व्यवस्था की चूक और अपने व्यक्तिगत हितों के लिए सिस्टम का दुरुपयोग बलरामपुर में बीएमसी यूनिसेफ के विजेन्द्र सिंह ने इसे बखूबी प्रदर्शित किया। सीएमओ डॉ. सुशील कुमार बानियान ने पत्र लिखकर कहा कि विजेन्द्र सिंह ने खुद को बेरोजगार और आशाओं का प्रतिनिधि बताकर बैठक में भाग लिया और इसके माध्यम से चहेती अधिकारियों का स्थानांतरण करवा दिया।
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यह अकेला मामला नहीं है। उनकी पत्नी नीलम सिंह और छोटे भाई की पत्नी प्रीति सिंह आशा कार्यकत्री के रूप में तैनात हैं और विभागीय कार्यप्रणाली में अनावश्यक व्यवधान डालती हैं। सीएचसी सोहावल में कार्यरत आशाओं को बार-बार गुमराह करना और उनके वास्तविक कार्यों में रुकावट डालना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा के मूल उद्देश्य को भी प्रभावित करता है।
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सांख्यिकी यह बोलती है कि अयोध्या के दस ब्लॉकों में पिछले छह वर्षों में संस्थागत प्रसव की दर सर्वाधिक रही, लेकिन विजेन्द्र सिंह के हस्तक्षेप से सोहावल ब्लॉक में छह वर्षों के सापेक्ष 179 प्रसव कम दर्ज किए गए। यह न सिर्फ प्रशासनिक उपेक्षा है, बल्कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है।
जब अपने हित के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को गुमराह किया जाए, तब सिस्टम का सबसे कमजोर हिस्सा—असली आशा कार्यकत्री और उनके आश्रित—दबाव में आते हैं। यह मामला सिर्फ बलरामपुर या सोहावल का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कमज़ोरी को उजागर करता है।
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