अमेरिका का नया टैरिफ हमला: भारत पर 25%, पाकिस्तान पर 19% शुल्क, 92 देशों को झटका

वॉशिंगटन/नई दिल्ली, एनआईए डिजिटल डेस्क।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत समेत 92 देशों पर एकतरफा टैरिफ (आयात शुल्क) लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। यह टैरिफ 7 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगे। भारत पर 25%, जबकि पाकिस्तान पर अपेक्षाकृत कम 19% शुल्क लगाया गया है। अमेरिका ने दावा किया है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, ट्रेड बैलेंस और चीन के सामान की ट्रांसशिपमेंटको रोकने के लिए उठाया गया है।

भारत पर क्यों टैरिफ?

अमेरिका ने भारत पर तेल और हथियारों की खरीद को लेकर रूस से करीबी संबंधों को वजह बताते हुए 25% टैरिफ के साथ अतिरिक्त जुर्माना भी लगाने का संकेत दिया है।  यह शुल्क स्टील, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।

 साउथ एशिया में पाकिस्तान को ‘राहत’

पाकिस्तान पर पहले 29% टैरिफ था, जो अब घटाकर **19%* किया गया है।  दक्षिण एशिया में यह सबसे कम टैरिफ है।

सबसे ज्यादा टैरिफ सीरिया पर

सीरिया पर 41%, लाओस और म्यांमार पर 40% तक का टैरिफ।

आरोप है कि चीन अपने माल को इन देशों के जरिए घुमा कर अमेरिका भेज रहा है।

यूरोपीय यूनियन और जापान को मिली राहत

EU से आने वाले अधिकांश सामान पर 15% टैरिफ**, लेकिन 30% वस्तुओं पर बातचीत जारी।

जापान से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ 25% से घटाकर 15%*किया गया।

जापान और EU दोनों अमेरिका में निवेश और ऊर्जा खरीद के बड़े वादे कर चुके हैं।

‘ट्रांसशिपमेंट’ पर अमेरिका की सख्ती

अब हर देश के लिए अलग ट्रैकिंग नंबर होगा।

किसी और देश के रास्ते सामान भेजने पर 40% टैक्स लगेगा।

अमेरिकी कस्टम सिस्टम अब सिस्टमेटिक फ्रॉड को तुरंत पहचान सकेगा।

 कनाडा पर टैरिफ क्यों?

कनाडा पर 1 अगस्त की रात से टैरिफ लागू हुआ।

कारण: कनाडा का फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में समर्थन।

 ट्रम्प का लक्ष्य: 90 दिन, 90 सौदे

2 अप्रैल को टैरिफ की घोषणा, 90 दिनों के लिए स्थगन।

31 जुलाई तक की नई डेडलाइन दी गई थी।

अभी तक केवल 7 देशों से समझौता हो पाया।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका के फैसले का गंभीरता से मूल्यांकन किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी।

विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार युद्ध को और गहरा कर सकता है। भारत को अपने निर्यात क्षेत्र में भारी दबाव का सामना करना पड़ सकता है, खासकर टेक्सटाइल और स्टील सेक्टर में।

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