एलडीए में ठेकेदारी के खेल पर उठे सवाल, अनुभव प्रमाण पत्र बना नया जुगाड़

लखनऊ, एनआईए संवाददाता। 

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में एक बार फिर ठेका प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। ‘मेसर्स प्राची इंटरप्राइजेज’ नामक फर्म के अनुभव प्रमाण पत्र में गड़बड़ी की आशंका ने यह दिखा दिया है कि निर्माण कार्यों की बोली प्रक्रिया में “अनुभव” अब योग्यता नहीं, बल्कि जुगाड़ का दस्तावेज़ बनता जा रहा है।

मामला गंभीर है — फर्म ने 2023 में लेसा (विद्युत वितरण निगम) के तहत 1.34 करोड़ और 1.10 करोड़ रुपये के दो ठेके लेने का दावा किया, जिनके आधार पर एलडीए में नया टेंडर हासिल करने का प्रयास किया गया। लेकिन जब एलडीए को संदेह हुआ, तो उसने बीकेटी डिवीजन के अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) को ईमेल भेजकर सत्यापन मांगा। यानी सवाल यह नहीं है कि “फाइल आगे बढ़ेगी या नहीं”, बल्कि यह कि सत्यापन की नौबत आई ही क्यों?

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यह घटना सिर्फ एक फर्म तक सीमित नहीं है। यह उस संस्थागत कमजोरी का उदाहरण है, जिसमें सरकारी ठेकों के नाम पर अनुभव प्रमाण पत्रों का खेल खुलकर खेला जाता है। ठेकेदार अनुभव दिखाने के लिए पुराने या फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते हैं, और विभागीय अधिकारी अक्सर जांच के बजाय “अनुमोदन” की मुद्रा में रहते हैं।

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अब बीकेटी के एक्सईएन पंकज गुप्ता ने बताया है कि यह ठेका उनके कार्यकाल से पहले, अक्टूबर 2023 में तत्कालीन अधिशासी अभियंता रंजीत चौधरी द्वारा दिया गया था। यानी जांच में एक और परत खुल सकती है — क्या तब भी सत्यापन हुआ था या फाइल सीधे मंज़ूर कर दी गई थी?

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यदि एलडीए सचमुच पारदर्शिता का दावा करता है, तो उसे केवल ईमेल भेजने से आगे बढ़कर संपूर्ण सत्यापन तंत्र विकसित करना चाहिए। हर अनुभव प्रमाण पत्र का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सत्यापित हो, ताकि ठेकेदारी की प्रक्रिया “दस्तावेजी धोखाधड़ी” का अड्डा न बने।

क्योंकि जब विकास के नाम पर ठेके अनुभव से नहीं, बल्कि प्रमाण पत्रों की हेराफेरी से बांटे जाने लगें, तो जनता का भरोसा और शहर का भविष्य – दोनों खतरे में पड़ जाते हैं।

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