उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस बैठक में संभल मामले की न्यायिक आयोग की रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष रखी गई। साथ ही लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए राहत की बड़ी घोषणा हुई।
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए बना निगम
बैठक में उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी दे दी गई। इसका उद्देश्य आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को शोषण से बचाना और उनके अधिकार सुरक्षित करना है। अब कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलेगा, उनका ईपीएफ कटेगा और उन्हें वे सभी सुविधाएं मिलेंगी जिनके वे हकदार हैं।
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निर्यातकों के लिए नई नीति
कैबिनेट ने यूपी की नई निर्यात नीति 2030 को मंजूरी दे दी है। यह नीति अगले पाँच वर्षों तक लागू रहेगी। इसमें वैश्विक टैरिफ वार को ध्यान में रखते हुए निर्यातकों और कारोबारियों को विशेष रियायतें देने का प्रावधान है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश को देश का प्रमुख निर्यात केंद्र बनाया जाए।
पैतृक संपत्ति के बंटवारे में राहत
बैठक में पैतृक संपत्ति के बंटवारे को आसान बनाने का फैसला भी हुआ। अब रजिस्ट्री का शुल्क केवल ₹5000 तय किया गया है। इससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
कानपुर और लखनऊ को 200 ई-बसें
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कानपुर और लखनऊ शहरों के लिए 100-100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रस्ताव पास कर दिया। इससे दोनों शहरों में प्रदूषण कम करने और यात्रा सुविधा को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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निवेश और रोजगार को बढ़ावा
बैठक में औद्योगिक निवेश व रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के तहत विभिन्न कंपनियों को Letter of Comfort जारी करने का प्रस्ताव भी पास हुआ। इससे प्रदेश में नए निवेश और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
अन्य फैसले
स्टांप विभाग को औपचारिक रूप से सरकारी विभाग घोषित किया गया।
आईटी विभाग की उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025 को मंजूरी मिली। इसका लक्ष्य प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करना है।
काम की बात
योगी सरकार की यह कैबिनेट बैठक निवेश, परिवहन, कर्मचारियों और आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए कई बड़े फैसलों वाली रही। इससे न केवल प्रदेश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा बल्कि लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों और आम नागरिकों को भी सीधी राहत मिलेगी।
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