कानपुर के चर्चित वकील अखिलेश दुबे के मददगार और करोड़ों की काली कमाई के साझेदार सीओ ऋषिकांत शुक्ला पर आखिरकार गाज गिर गई। शासन ने सोमवार देर रात उन्हें निलंबित कर दिया। ऋषिकांत की अकूत संपत्तियों की जांच अब विजिलेंस करेगी। बताया जा रहा है कि सीओ ने 15 साल तक कानपुर में रहकर करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्तियां अपने नाम और बेनामी तौर पर खड़ी कीं।
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एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ कि ऋषिकांत शुक्ला ने खुद, अपने परिजनों और सहयोगियों के नाम पर 12 प्रमुख संपत्तियां खरीदीं, जिनकी बाजार कीमत करीब 92 करोड़ रुपयेहै। तीन और संपत्तियों के दस्तावेज नहीं मिले, लेकिन खरीद-फरोख्त में सीओ के पैन कार्ड का इस्तेमाल हुआ। आर्यनगर में उनके नाम पर आईं 11 दुकानें भी सामने आई हैं, जो उनके पड़ोसी देवेंद्र दुबे के नाम पर खरीदी गई थीं। जांच में साफ हुआ कि यह सारी संपत्तियां उनकी आय से कई गुना अधिक हैं।
अखिलेश दुबे से सांठगांठ
जेल में बंद वकील अखिलेश दुबे पर झूठे पॉक्सो केस लगवाकर करोड़ों की रंगदारी वसूलने का आरोप है। पुलिस ने जब उनके नेटवर्क की छानबीन की तो सीओ ऋषिकांत शुक्ला, इंस्पेक्टर संतोष कुमार सिंह, विकास पांडेय और आशीष द्विवेदी के नाम सामने आए। एक इंस्पेक्टर जेल में है, दूसरे की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है और अब तीसरे सीओ ऋषिकांत पर कार्रवाई हो चुकी है।
ऑपरेशन महाकाल की पहली बड़ी कार्रवाई
पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने ऑपरेशन महाकाल के तहत अपराधी-पुलिस गठजोड़ की कमर तोड़ने का अभियान शुरू किया था। उसी जांच में ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ भारी अनियमितताओं के साक्ष्य मिले। शासन ने डीजीपी की मंजूरी के बाद विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक अब बाकी दागी पुलिसकर्मियों पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।
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कानपुर से गहरा रिश्ता
एसआईटी जांच में यह भी सामने आया कि ऋषिकांत का कानपुर प्रेम खास था। बतौर एसआई से लेकर सीओ तक उन्होंने ज्यादातर समय कानपुर में ही गुजारा, करीब 15 साल तक। इसी दौरान उन्होंने अकूत संपत्तियां खड़ी कीं और कथित तौर पर वकील गिरोह के साथ मिलकर शहर में पकड़ बनाई।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) आशुतोष कुमार ने बताया कि एसआईटी जांच में अकूत संपत्तियां और अनियमितताओं के पुख्ता साक्ष्य मिले थे। उसी आधार पर शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसके बाद विजिलेंस जांच की अनुमति दी गई।
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