लखनऊ, NIA ब्यूरो ।
अब अगर आप कोई जमीन खरीदने जा रहे हैं, तो उसकी कीमत सिर्फ एरिया देखकर नहीं, बल्कि लोकेशन और उपयोगिता देखकर तय होगी। यूपी सरकार ने सर्किल रेट तय करने के नए मानक लागू कर दिए हैं। अब सड़क से सटी जमीन का रेट ज्यादा और सड़क से दूर की जमीन का रेट कम होगा।
यह भी पढ़ें: 100 करोड़ की संपत्ति वाला सीओ सस्पेंड, ऋषिकांत शुक्ला पर विजिलेंस जांच
पहले सड़क से सटी और दूर जमीन के रेट बराबर
अब तक की व्यवस्था में सड़क से सटी और उससे 100 मीटर दूर स्थित गैर-कृषि भूमि का सर्किल रेट लगभग बराबर होता था। ऐसे में दोनों पर समान स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती थी। अब ऐसा नहीं होगा।
स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि नई व्यवस्था से सर्किल रेट पारदर्शी और व्यवहारिक होंगे। उन्होंने कहा कि अब रेट जमीन की लोकेशन, उपयोग और निर्माण की प्रकृति के आधार पर तय होंगे।
15 नई श्रेणियों में बंटेगी जमीन
मंत्री के मुताबिक, पहले जमीन की 14 श्रेणियां थीं, जिन्हें जिले अपने हिसाब से व्याख्यायित करते थे। इससे भ्रम और असमानता पैदा होती थी। अब पूरे प्रदेश के लिए 15 यूनिवर्सल श्रेणियां तय की गई हैं, जिन्हें सभी जिलों को लागू करना होगा।
विभाग ने इसके लिए एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपनी संपत्ति की अनुमानित कीमत जान सकेगा।
अलग-अलग उपयोग के हिसाब से नई दरें
| श्रेणी | दर में अंतर |
|---|---|
| आवासीय भूमि | आधार दर |
| कमर्शियल, होटल, अस्पताल, पेट्रोल पंप, सिनेमाहॉल, कोचिंग सेंटर | आवासीय से 20% अधिक |
| औद्योगिक भूमि | गैर कृषि दर से 30% कम |
| औद्योगिक निर्माण | 20% कम |
| ईंट भट्ठा | कृषि दर से 25% अधिक |
| बहुमंजिला भवन | फ्लोर के हिसाब से 50% से 25% तक कमी |
| पार्क या मुख्य सड़क से सटे भूखंड | अधिक मूल्य वाली सड़क की दर + 10–20% अतिरिक्त |
| क्लब, जिम, स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं वाले प्रोजेक्ट | अलग दरें |
सड़क और चौड़ाई के आधार पर भी फर्क
अब सर्किल रेट सड़क की चौड़ाई और श्रेणी के हिसाब से तय होंगे।
खड़ंजा रोड, लिंक रोड, जिला मार्ग, स्टेट हाइवे, नेशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे — इन सभी की दरें अलग होंगी।
3 मीटर से 30 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़क पर स्थित भूखंडों के लिए अलग-अलग रेट तय किए गए हैं।
पुराने निर्माण पर घटेगी दर
निर्माण की उम्र के अनुसार 20% से 50% तक डेप्रिसिएशन (मूल्य में कमी) लागू होगी।
एक ही आराजी नंबर में कृषि और गैर-कृषि दोनों भूमि होने पर दोनों की अलग-अलग दरें तय होंगी।
वहीं भूमि पर मौजूद वृक्षों का मूल्यांकन भी अब आयु, प्रजाति और परिधि के आधार पर होगा।
यह भी पढ़ें: लखनऊ: जाली दस्तावेजों से जीएसटी में 22 करोड़ की आईटीसी हड़पने की साजिश, गणपती ट्रेडर्स के मालिक पर केस दर्ज
विवाद और मुकदमे होंगे खत्म
नई व्यवस्था से संपत्ति मूल्यांकन को लेकर होने वाले विवाद और अदालती मुकदमे काफी हद तक कम होंगे।
साथ ही, शहरी, अर्धशहरी और ग्रामीण इलाकों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर दरें तय की जाएंगी।
मंत्री का कहना है, “इस प्रणाली से जमीन के मूल्यांकन में पारदर्शिता आएगी, लोगों को भ्रम से राहत मिलेगी और कोई भी व्यक्ति बिना दफ्तर गए संपत्ति की कीमत जान सकेगा।”
नई नीति से सरकार को जहां राजस्व बढ़ोतरी की उम्मीद है, वहीं आम जनता को भी स्पष्ट और न्यायसंगत मूल्यांकन का लाभ मिलेगा। अब जमीन की कीमत सिर्फ जगह नहीं, बल्कि उसकी वास्तविक उपयोगिता और स्थिति से तय होगी।
यह भी पढ़ें: समरसता और सेवा की नई दिशा-जगदीश्वरम विहार जनकल्याण समिति की नई कार्यकारिणी ने जगाया जनविश्वास




