यूपी सरकार ने व्यापारियों और उद्यमियों को बड़ी राहत देते हुए उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025 जारी कर दिया है। अब विभिन्न अधिनियमों के उल्लंघन पर जेल की सजा नहीं होगी, बल्कि सिर्फ जुर्माना भरने की सुविधा मिलेगी। इतना ही नहीं, जुर्माने की राशि में हर तीन साल में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। प्रमुख सचिव विधायी जे.पी. सिंह ने शुक्रवार को यह अध्यादेश जारी किया।
सरकार का यह कदम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।
अब इन कानूनों में खत्म हुई कारावास की सजा
गन्ना (आपूर्ति एवं क्रय विनियमन) अधिनियम: छह माह की जेल की सजा समाप्त, अब केवल दो लाख रुपये तक जुर्माना।
सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1955 और नगर निगम अधिनियम 1959: एक माह की सजा खत्म, आबादी के आधार पर ₹1 लाख से ₹5 लाख तक जुर्माना।
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क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अधिनियम: सजा खत्म, जुर्माना ₹20,000 से बढ़ाकर ₹2 लाख।
मादक पान (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम: अब केवल ₹75,000 तक जुर्माना।
औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम: अब ₹25,000 तक जुर्माना, सजा खत्म।
वृक्ष संरक्षण अधिनियम: छह माह की सजा समाप्त, अब ₹1,000 से ₹10,000 तक जुर्माना।
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भूमि, भू-जल और अग्निशमन से जुड़े कानूनों में भी संशोधन
राजस्व संहिता: जमीन से जुड़ी भ्रामक सूचना देने पर ₹2 लाख तक जुर्माना।
भू-जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019: पहली बार उल्लंघन पर ₹5 लाख, दोबारा पर ₹10 लाख जुर्माना और NOC निरस्त।
अग्निशमन एवं आपात सेवा अधिनियम: तीन माह की सजा के साथ ₹75,000 तक जुर्माना तय।
सरकार का कहना है कि इस अध्यादेश का उद्देश्य उद्यमियों पर से “सजा का डर” हटाकर व्यवसाय को सुगम और पारदर्शी बनाना है। अब कोई भी व्यापारी या उद्योगपति मामूली गलती पर जेल नहीं जाएगा, बल्कि नियमानुसार जुर्माना भरकर कार्यवाही पूरी कर सकेगा।
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