बाल कल्याण की जमीन पर माफिया की मौज, स्कूलों के बीच नशे का अड्डा

लखनऊ, एनआईए संवाददाता। 
बच्चों के भविष्य को संवारने और शिक्षा की लौ जलाने के लिए सरकार ने जिस ज़मीन को आवंटित किया था, वहां आज नशे की अंधेरी गलियां बन चुकी हैं। नाम है – बाल कल्याण एवं अनुसंधान परिषद। लेकिन यहां हो रहा काम बच्चों के कल्याण से ज़्यादा भू-माफ़िया के कल्याण और शराब माफ़िया के उत्थान का प्रतीक बन गया है।

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कटाक्ष यही है कि जिस ज़मीन पर किताबों की खुशबू होनी चाहिए थी, वहां अब शराब की बोतलों की गंध फैली हुई है। जिस आंगन में बच्चों की किलकारियां गूंजनी थीं, वहां शराबियों के ठहाके और अवैध धंधे की खनक सुनाई देती है।

आस-पड़ोस में संस्कार, बीच में नशे का अड्डा

इंदिरा प्रियदर्शनी वार्ड के उत्तर में अवध विहार, मानस एन्क्लेव, स्वरूप विहार, शिवजी पुरम और शिव विहार जैसी कॉलोनियाँ बसी हैं। दक्षिण में बाल विहार और जागृति एन्क्लेव जैसे मोहल्ले हैं। इसी इलाके में शिवा पब्लिक स्कूल, कनौसा प्राइमरी, स्वरूप मेमोरियल, लक्ष्मी कान्वेंट और कनौसा गर्ल्स इंटर कॉलेज जैसे संस्थान बच्चों को शिक्षा देने के लिए संचालित हो रहे हैं।

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इतना ही नहीं, आसपास शनि मंदिर, शिव मंदिर, कालू बाबा मंदिर और स्थवाला मंदिर जैसे धार्मिक स्थल भी हैं। यानी चारों ओर आस्था और शिक्षा, लेकिन बीच में प्रशासन की अनदेखी से ‘शराब का साम्राज्य’।

माफ‍िया की मौज, प्रशासन की चुप्पी

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बेहद कम दूरी पर मॉडल शॉप, अंग्रेज़ी शराब की दुकान और देशी शराब की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। भू-माफ़िया करोड़ों की कमाई कर रहे हैं और प्रशासन खामोश दर्शक बना हुआ है।

लोग कहते हैं क‍ि सरकार ने जमीन बच्चों के कल्याण के लिए दी थी, लेकिन यहां शराब और अनैतिक गतिविधियों ने कब्जा जमा लिया। अगर यही बाल कल्याण है तो फिर बर्बादी किसे कहते हैं?

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असर: बच्चों के भविष्य पर धब्बा

शराब की दुकानों और अवैध गतिविधियों का सीधा असर बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ रहा है। रोज़ाना स्कूल जाते वक्त नशे की दुकानें देखने और माहौल में पनप रही गलत गतिविधियों से बच्चों पर नकारात्मक छाप पड़ रही है।

जनता का कटाक्ष और चेतावनी

लोगों ने तंज कसते हुए कहा क‍ि शिक्षा के मंदिर में अगर शराब की दुकानें सजेंगी तो कल को स्कूलों के सिलेबस में शायद ‘दारू के फायदे’ भी पढ़ाए जाएंगे।

स्थानीय लोगों का दर्द

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रशासनिक मिलीभगत के बिना यह कारोबार संभव ही नहीं है। उनका कहना है, सरकार ने जमीन बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए दी थी। लेकिन यहां भू-माफिया की मौज और शराब कारोबार का बोलबाला है। यह आने वाली पीढ़ी के साथ सीधा विश्वासघात है।

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