निगम की संपत्ति पर ठेका, मोहल्लेवासियों में आक्रोश, अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
राजधानी में नगर निगम की ज़मीन पर शराब की दुकान खोलने से हंगामा मच गया है। लोगों का कहना है कि जिस ज़मीन पर पार्क, सामुदायिक भवन या सार्वजनिक सुविधा केंद्र बनना चाहिए था, वहाँ अधिकारियों की मिलीभगत से शराब का ठेका चल रहा है। इससे न सिर्फ माहौल बिगड़ा है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसे मिली इजाज़त?
नगर निगम की संपत्ति जनता के कल्याण के लिए होती है। लेकिन जाँच में यह सामने आ रहा है कि कुछ अधिकारियों ने शराब माफियाओं से मिलीभगत कर ज़मीन को ठेके के लिए उपलब्ध करा दिया। दस्तावेज़ों में यह ज़मीन “सार्वजनिक उपयोग” के लिए दर्ज है। आबकारी विभाग ने बिना आपत्ति जाने यहाँ लाइसेंस जारी कर दिया। नगर निगम के आला अधिकारियों ने इस पर चुप्पी साध ली है।
जनता का आक्रोश
रामकिशोर तिवारी (स्थानीय निवासी): “नगर निगम ने जनता की ज़मीन को शराब माफियाओं को बेच दिया। यह भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण है।”
अनीता वर्मा (गृहणी): “हमने बच्चों के खेलने के लिए पार्क की माँग की थी, लेकिन यहाँ शराब की दुकान खोल दी गई। अधिकारी किसके इशारे पर काम कर रहे हैं?”
सुधीर यादव (युवा कार्यकर्ता): “यह साफ है कि अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर शराब कारोबारियों को छूट दी है। हम इस मामले की जाँच सीबीआई या लोकायुक्त से कराने की मांग करेंगे।
यह भी पढ़ें : सीएम योगी ने बस्ती के बसहवा में सरस्वती विद्या मंदिर का भूमि पूजन, शिलान्यास, पौधरोपण और पुस्तक विमोचन किया
कानून की धज्जियां
धार्मिक स्थल और स्कूल से कम से कम 150 मीटर दूरी पर ही शराब की दुकान हो सकती है।
नगर निगम की जमीन का इस्तेमाल जनहित और विकास कार्यों के लिए होना चाहिए।
नगर निगम को ज़मीन का व्यावसायिक उपयोग करने से पहले बोर्ड की अनुमति और सार्वजनिक हित में निर्णय लेना होता है।
इन सब नियमों को ताक पर रखकर नगर निगम ने शराब कारोबारियों को खुली छूट दे दी।
यह भी पढ़ें : मंदिर की आस्था पर मॉडल शॉप का हमला, बहन-बेटियों की सुरक्षा दांव पर
भ्रष्टाचार की बू
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम और आबकारी विभाग के बीच सीधी सांठगांठ है।
आबकारी विभाग ने नियमों की अनदेखी कर लाइसेंस जारी किया।
नगर निगम अधिकारियों ने फाइल दबाकर जनता की आवाज़ अनसुनी कर दी।
ठेका संचालक खुलेआम दावा करता है कि “ऊपर तक सब सेट है।”
जनता की चेतावनी
निवासियों ने ऐलान किया है कि अगर ठेका तुरंत बंद नहीं हुआ तो वे:
नगर निगम कार्यालय का घेराव करेंगे। नगर आयुक्त और जिलाधिकारी को सामूहिक ज्ञापन देंगे। कोर्ट में भ्रष्टाचार के खिलाफ याचिका दायर करेंगे।
एनआईए की पड़ताल जारी
यह मामला सिर्फ एक शराब की दुकान का नहीं, बल्कि जनता की जमीन पर भ्रष्टाचार और अधिकारियों की सांठगांठ से चल रहे अवैध धंधे का है। हमारा संस्थान इस पर विस्तार से पड़ताल करेगा कि आखिर किसके आदेश पर नगर निगम की जमीन शराब कारोबारियों को दी गई।
यह भी पढ़ें : इंदिरानगर: शिव-शनिमंदिर के पास मॉडल शॉप, आस्था और सुरक्षा पर संकट