पुलिस-आबकारी महकमे की सांठगांठ से प्रशासन मूकदर्शक, स्थानीय लोग भड़के
राजधानी के पुराने इंदिरानगर थानाक्षेत्र में शिव मंदिर और उसके सामने शनिमंदिर के पास खुले मॉडल शॉप ने पूरे इलाके की शांति और आस्था को तार-तार कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मंच से कह रहे हों कि “बहन-बेटियों की राह रोकने वालों को सीधे यमलोक भेजा जाएगा”, लेकिन हकीकत यह है कि यहां बहन-बेटियां मंदिर तक सुरक्षित पहुंच ही नहीं पा रहीं।
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मंदिर के पास शराबियों की भीड़ खड़ी रहती है, छेड़खानी की घटनाएं आम हो गई हैं और पुलिस-आबकारी महकमा शिकायतें दबाने में जुटा है। स्थानीय लोग साफ आरोप लगा रहे हैं कि मॉडल संचालक की पुलिस और आबकारी विभाग से गहरी सांठगांठ है, तभी नियमों के खिलाफ खुला यह मॉडल शॉप फल-फूल रहा है।
कानून ताक पर, आस्था का अपमान
सुप्रीम कोर्ट और यूपी सरकार के नियम साफ हैं कि धार्मिक स्थलों और स्कूलों से शराब की दुकान 150 मीटर दूर होनी चाहिए। हाईवे से भी 500 मीटर दूरी का प्रावधान है। बावजूद इसके शिव मंदिर और शनि मंदिर के बिल्कुल बगल में मॉडल शॉप चलना अपने आप में प्रशासन की नाकामी और मिलीभगत को उजागर करता है।
लोगों का गुस्सा फूटा
संगीता शर्मा (स्थानीय महिला): “शाम के समय शराबियों के बीच से निकलकर बेटियों के साथ मंदिर जाना किसी सजा से कम नहीं है। कई बार छेड़खानी हुई, लेकिन पुलिस ने हमेशा आँखें मूँद लीं।
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अजय सिंह (श्रद़धालु ): “यह मंदिर पवित्र स्थल है। अधिकारियों से मॉडल शॉल हटाने की गुहार लगाई, लेकिन वे उल्टा मंदिर का पंजीकरण मांगने लगे। क्या धर्म और आस्था का कोई कागज़ चाहिए?”
अरविंद सिंह (निवासी): “अगर प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाया तो हम सामूहिक आंदोलन करेंगे।
नहीं पता किसने तैयार किया आबकारी महकमे के गठन का प्रस्ताव
अगर आबकारी महकमे से पूछ लिया जाए। संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम, 1910 का प्रस्ताव किसने तैयार किया था,जिस पर पूरा महकमा खडा तो उसका जवाब ना ही होगा। ऐसे में आस्था के प्रतीक मंदिर का रजिस्ट्रेशन सार्टीफिकेट कैसे हो सकता है।
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प्रशासन पर उठ रहे सवाल
स्थानीय जनता का आरोप है कि अधिकारी मंदिर की पवित्रता और महिलाओं की सुरक्षा से अधिक शराब कारोबारियों की कमाई और सांठगांठ की चिंता में डूबे हैं। सवाल यह है कि जब नियम इतने स्पष्ट हैं, तो आखिर किसके इशारे पर आस्था के दरवाजे पर शराब का अड्डा चल रहा है?
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