हिंदी सिनेमा के दिग्गज असरानी का निधन, ‘शोले’ के जेलर नहीं रहे

मुंबई, एनआईए संवाददाता। 

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और अपनी अद्भुत कॉमेडी टाइमिंग से करोड़ों दिलों पर राज करने वाले गोवर्धन असरानी का आज निधन हो गया। लंबी बीमारी के बाद मंगलवार शाम करीब 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 83 वर्षीय असरानी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण उनकी हालत बिगड़ गई।

यह भी पढ़ें: दीपों की रौशनी में छिपा मिलावट का अंधेरा, लखनऊ में 321 किलो नकली खाद्य सामग्री सीज

उनके मैनेजर बाबूभाई थिबा ने बताया कि असरानीजी का निधन अपराह्न तीन बजे हुआ। उन्होंने कहा — “यह असरानीजी की इच्छा थी कि उनके निधन की जानकारी सार्वजनिक न की जाए। उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज़ श्मशान घाट पर शाम को परिवार और करीबी मित्रों की मौजूदगी में किया गया।”

50 साल का सफर, 350 से ज्यादा फिल्में और अमर किरदार

पांच दशकों से अधिक लंबे करियर में असरानी ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 1970 के दशक में उन्होंने जो पहचान बनाई, वह आज भी अमर है।
‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘परिचय’, ‘अभिमान’, ‘चुपके-चुपके’, ‘छोटी सी बात’ और ‘रफू चक्कर’ जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने उन्हें भारतीय सिनेमा का कॉमिक जीनियस बना दिया।

लेकिन असरानी का सबसे यादगार किरदार रहा, फिल्म ‘शोले’ का सनकी जेलर, जिसकी डायलॉग डिलीवरी आज भी दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान ले आती है।
उनकी कॉमेडी सिर्फ हंसाती नहीं थी, बल्कि अपने भीतर समाज का व्यंग्य भी समेटे रहती थी।

निर्देशक और लेखक के रूप में भी छोड़ी छाप

असरानी ने सिर्फ अभिनय ही नहीं किया, बल्कि निर्देशन और लेखन में भी अपनी छाप छोड़ी।
उन्होंने ‘चला मुरारी हीरो बनने’ जैसी फिल्म को लिखा, निर्देशित और उसमें अभिनय किया।
‘सलाब मेमसाब’ में भी उन्होंने निर्देशन का जिम्मा संभाला। गुजराती सिनेमा में भी असरानी का योगदान उल्लेखनीय रहा है।

हंसी की विरासत हमेशा ज‍िंदा रहेगी

असरानी के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर है। उनके प्रशंसकों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं।
जो व्यक्ति दशकों तक देश को हंसाता रहा, उसकी जुदाई हर चेहरे पर उदासी छोड़ गई है।
फिल्म जगत के कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और लिखा —

असरानी सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी की हंसी की धड़कन थे। शांति के उस पार भी असरानी जी, आपकी मुस्कान यूं ही गूंजती रहेगी।

यह भी पढ़ें: बस्ती में गैस पाइपलाइन काम का अराजक असर, सड़कों पर गड्ढों और जनता का रोष

Scroll to Top