UP Land Scam: बस्ती ही नहीं, कई जिलों में फर्जी नोटरी से बैनामों का बड़ा नेटवर्क

लखनऊ/बस्ती, NIA संवाददाता। 

जमीन के अवैध बैनामों और स्टांप चोरी के मामले अब सिर्फ जिले-बस्ती तक सीमित नहीं हैं।  मिले इनपुट के मुताबिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों जैसे संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा, अयोध्या और बलरामपुर में भी इसी तरह का रैकेट सक्रिय है, जिसमें नोटरी अधिवक्ताओं की आड़ में बैनामा तैयार किया जा रहा है। इन अवैध लेनदेन के कारण राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये तक का राजस्व घाटा होने का अनुमान है।

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कई जिलों से समान शिकायतें

ग्रामीण तथा आबादी भूमि का “बैनामा” नोटरी द्वारा किया जाना

नियमों के विपरीत किरायानामा, हलफनामा एवं बक्शीपत्र जारी होना

पक्षकारों की उपस्थिति के बिना दस्तावेजों का सत्यापन

दलालों की भूमिका के साथ स्टांप शुल्क की चोरी

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “कुछ नोटरी अधिवक्ताओं ने अपने-अपने इलाकों में ‘प्राइवेट रजिस्ट्री सिस्टम’ जैसा नेटवर्क तैयार कर लिया है।”

प्रदेश-स्तर पर तंत्र की मिलीभगत के संकेत

सूत्रों का दावा है कि इस खेल में दलाल, नोटरी अधिवक्ता, कुछ रजिस्ट्री कर्मचारी तथा स्थानीय स्तर का प्रशासन समन्वित रूप से शामिल है। शिकायतें मिल रही हैं लेकिन कार्रवाई की देरी ने जांच की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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डिमांड हाई, नियम नरम — ए घोटाला जारी

अधिकतर मामले आबादी (डीह) भूमि, विवादित जमीन तथा दूर-दराज में रहने वाले मूल मालिकों से जुड़े हैं। इन लेन-देन में खरीदार कम राशि देकर कागजात ले लेते हैं, लेकिन कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती।

यूपी स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग अलर्ट

उ0प्र0 स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, देवेंद्र कुमार (डीआईजी स्टांप) ने संकेत दिए हैं कि बड़ी जांच शुरू की जा चुकी है। संदिग्ध नोटरी लाइसेंस की छान-बीन होगी। तेजस्वी दंड एवं स्टांप वाद दायर होंगे। रैकेट में शामिल लोगों की पहचान की जाएगी।अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि “जहाँ-जहाँ स्टांप चोरी की जानकारी मिली है, वहाँ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

आगे क्या?

नोटरी रजिस्टर की विस्तृत जांच

अवैध बैनामों के जिलेवार तथ्य संग्रह

जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब-तलब

पीड़ितों एवं जमीन खरीदारों के बयानों का विश्लेषण

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ऐसे होता है खेल : नोटरी ‘अधिवक्ता’ कर रहे जमीन का ‘बैनामा’, सरकार को करोड़ों का चूना!

– हजार-दो हजार की दलाली में लाखों का स्टांप डुबो रहे नोटरी
– रजिस्ट्री विभाग का अधिकार, फिर भी नोटरी तैयार कर दे रहे जमीन का सौदा
– डीआईजी स्टांप सख्त, नोटिस जारी… फंसते ही अधिवक्ता ने अपनी ही मोहर को फर्जी बताया

बस्ती। जिनके ऊपर कानून की रक्षा की जिम्मेदारी… वही कानून के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता बन गए हैं। बस्ती में फर्जी नोटरी के बाद अब जमीनों के फर्जी बेचीनामे/बैनामे का घोटाला खुला है।
नोटरी अधिवक्ता— जिन्हें सिर्फ दस्तावेज़ का सत्यापन करने का अधिकार है— वे बेनामी जमीनों का सीधा बैनामा करा रहे हैं। और वह भी लाखों के स्टांप की जगह मात्र 50–100 रुपयों में

इस खामोश खेल में सरकार को हर साल 3–4 करोड़ रुपए तक का राजस्व नुकसान, जबकि दलाल–नोटरी की जेब मोटी!


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कैसे चल रहा है खेल?

✔ गांव की आबादी/डीह की जमीन पर दोगुना स्टांप लगना चाहिए
✔ हर रजिस्ट्री पर लाखों की स्टांप + फीस तय
✘ लेकिन यहां 2,000 में पूरी रजिस्ट्री-पैकेज डील!

एक केस में राम सुरेश ने अपनी डीह की जमीन 2.5 लाख में बेच दी…
स्टांप शुल्क?
सिर्फ ₹50!
नोटरी की मोहर + हस्ताक्षर के साथ दस्तावेज़ तैयार!


कानून? किसे परवाह!

  • नोटरी सिर्फ दस्तावेज़ की प्रमाणिकता की पुष्टि करेगा

  • मालिकाना हक का सौदा सिर्फ रजिस्ट्री कार्यालय में ही संभव

  • ऐसे “बेचीनामे” किसी कोर्ट में साक्ष्य तक नहीं माने जाएंगे


डीआईजी स्टांप की सख्ती

शिकायत और दस्तावेज़ देखकर डीआईजी स्टांप देवेंद्र कुमार भी हैरान—
यह पूरी तरह अवैध है।
जुर्माना लगेगा— नियत स्टांप का 10 गुना तक!
स्टांप वाद भी दायर होगा।”


फंसते ही नोटरी पलटा— “मोहर और हस्ताक्षर फर्जी!”

जब आरोपी नोटरी अधिवक्ता कहैयालाल चौधरी से सवाल पूछे गए—
👉 “मैं नहीं, किसी ने फर्जी मोहर बना ली।”

यानी जब तक पकड़े न जाओ—
नोटरी असली
फंसो तो—
मोहर फर्जी!


किरायानामे में भी खुली लूट

  • ₹100 में तैयार हो रहा किरायानामा

  • जबकि क़ानून—

  • किराए का 4% स्टांप + पंजीकरण अनिवार्य

अस्पताल तक बंद करवाने वाली फर्जी नोटरी!

– मेडिवर्ल्ड अस्पताल का लाइसेंस इसी कारण निरस्त
– कई नोटरी लाइसेंस ख़त्म होने के बाद भी धड़ल्ले से जारी


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सबसे बड़ा सवाल

अगर नोटरी अधिवक्ता ही रजिस्ट्री करने लगे, तो
▶ रजिस्ट्री विभाग किसलिए?
▶ सरकार का राजस्व कौन बचाएगा?
▶ और सबसे महत्वपूर्ण— जनता की जमीन कौन?

 

 

 

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