कृषि व्यवसायियों की लड़ाई अब सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं रही। यह सीधे प्रशासन और सरकारी पोर्टलों तक पहुँच गई है। जिले के बीज और कीटनाशक व्यापारियों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि खाद, बीज और कीटनाशक के उत्पादन और वितरण की ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था स्थगित की जाए।
व्यापारी समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) पोर्टल और बीज के लिए अलग पोर्टल शुरू किए हैं। इन पोर्टलों में हर पैकेट और बोरी का बारकोड स्कैन कर अपलोड करना अनिवार्य है। लेकिन जमीन पर यह व्यवस्था व्यावहारिक रूप से असंभव है। अतिरिक्त श्रम, समय और संसाधन की भारी जरूरत है, और अगर बीज समय पर न बिका तो उसकी अंकुरण क्षमता भी प्रभावित होगी।
सवाल यह उठता है कि क्या सरकार ने स्थानीय व्यापारियों और किसानों की असली परिस्थितियों को समझा है या सिर्फ आंकड़ों के पोर्टल पर भरोसा कर रही है? जब व्यापारियों को रोजमर्रा के काम और समय की सीमा के बीच डिजिटल बंधन से जूझना पड़ता है, तो इसका असर कृषि उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ेगा।
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ज्ञापन देने वालों में संजय वर्मा, चन्द्र प्रकाश वर्मा, अवधराज, धीरेन्द्र वर्मा, पंकज गुप्ता सहित कई प्रमुख व्यापारी मौजूद थे।
यह मामला सिर्फ पोर्टल तक सीमित नहीं है—यह संकेत देता है कि सरकार और व्यापारियों के बीच नीति और जमीन की वास्तविकता में टकराव गहरा गया है।
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