उत्तर प्रदेश सरकार ने जातिवाद पर करारा प्रहार करते हुए बड़ा फैसला लिया है। अब पुलिस रिकॉर्ड, FIR, गिरफ्तारी मेमो और जब्ती रिपोर्ट में किसी भी आरोपी की जाति का जिक्र नहीं होगा। कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने शनिवार को आदेश जारी करते हुए साफ कहा— “समाज में जातीय विभाजन बढ़ाने वाली किसी भी प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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यही नहीं, आरोपी के पिता के नाम के साथ अब माता का नाम भी दर्ज किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे समाज में बराबरी और लैंगिक सम्मान की भावना मजबूत होगी।
गाड़ियों पर जाति लिखवाने पर चालान
सड़क पर अक्सर दिखने वाले ‘जाट हूं’, ‘ठाकुर साहब’, ‘पंडित जी’ जैसे स्लोगन अब नहीं चलेंगे। पुलिस को आदेश है कि ऐसे सभी जाति-आधारित स्टिकर और नारे तुरंत हटवाए जाएं। उल्लंघन करने वालों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान होगा।
सोशल मीडिया पर एक्शन
फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब या वॉट्सऐप पर जाति विशेष का महिमामंडन या किसी जाति की निंदा करने वालों के खिलाफ अब FIR दर्ज होगी।
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पृष्ठभूमि
यह फैसला इटावा के शराब तस्करी मामले से जुड़ा है, जिसमें पुलिस ने जब्ती मेमो और FIR में आरोपियों की जाति दर्ज कर दी थी। हाईकोर्ट ने इस पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा था कि ऐसी प्रथा “संवैधानिक नैतिकता को कमजोर करती है और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।