लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेश ने सरकार को साफ संदेश दे दिया है-20 जनवरी को विधानसभा पर इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन होने वाला है।
मंडलीय सम्मेलनों में कर्मचारियों का गुस्सा फट चुका है और परिषद का दावा है कि 50,000 से ज़्यादा कर्मचारी विधानसभा को घेरने उतर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: बरेली में प्रशासन का हड़कंप मचाने वाला ऑपरेशन,‘बिना कागजात कोई नहीं बचेगा’, अफसरों को साफ चेतावनी
परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने प्रेस बयान में सरकार की कार्यशैली पर सीधा हमला करते हुए कहा कि अब धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है।
आगरा, गोरखपुर और कानपुर में सम्मेलन सरकार विरोधी रोष में बदल चुके हैं, जबकि 7 दिसंबर को चित्रकूट/झांसी मंडल का सम्मेलन हमीरपुर में माहौल और गरमाने वाला है।
यह भी पढ़ें: करोड़ों का कफ सिरप, हजारों फर्जी बिल, यह है हिंदुस्तान का सबसे बड़ा सिरप स्कैंडल!
“सरकार कर्मचारियों की बात सुनने को तैयार ही नहीं” -परिषद का हमला
तिवारी ने बेहद तीखे लहजे में आरोप लगाया:
आउटसोर्सिंग के नाम पर निगम बनाकर सरकार ने सिर्फ घोषणा की, जमीन पर कुछ नहीं उतरा।
आउटसोर्स कर्मचारियों को न न्यूनतम वेतन, न सेवा सुरक्षा, बस शोषण की खुली छूट।
नियमित कर्मचारियों की वेतन विसंगतियाँ फाइलों में ही दबी पड़ी हैं।
मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (कार्मिक) के स्तर पर पूरी तरह संवादहीनता, कर्मचारी नेताओं से मिलने तक की फुर्सत नहीं।
विभागों के अपर मुख्य सचिव और सचिवों पर तंज—“समस्याएँ समझना तो दूर, सुनने तक की इच्छाशक्ति नहीं बची।
संविदाकर्मियों और आशा बहुओं की हालत बदतर: “उत्पीड़न ही सरकार की नीति बन गई है”
परिषद के अनुसार—
नगरीय परिवहन विभाग में संविदा ड्राइवर–कंडक्टरों को बिना कारण एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
आशा बहुएँ समय पर मानदेय न मिलने और अधिकारियों की मनमानी से त्रस्त हैं।
वर्षों से उनका मानदेय फूटी कौड़ी भी नहीं बढ़ाया गया — “सरकार को जरूरत पड़ती है, लेकिन सम्मान देना भूल जाती है।”
20 जनवरी पर बड़ा अल्टीमेटम: “यही रवैया रहा तो विधानसभा पर लहराएगी कर्मचारियों की सुनामी”
यह भी पढ़ें: 2001 से चल रहा ‘कफ सिरप साम्राज्य’!
तिवारी ने दो-टूक कहा कि कर्मचारियों की अनदेखी का दबाव अब विस्फोट में बदल रहा है। यदि सरकार ने अभी हस्तक्षेप नहीं किया तो 20 जनवरी को विधानसभा पर जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन होगा, जिसकी गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई देगी।

अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध नहीं, बल्कि कड़े शब्दों में हस्तक्षेप की मांग की।
NIA- उपरोक्त खबर के संदर्भ में कोई सुझाव आप editor@newindiaanalysis.com पर दे सकते हैं। हम आपके सुझाव का स्वागत करते हैं। अपना मोबाइल नंबर जरूर साझा करें। NIA टीम के साथी आप से संपर्क करेंगे।




