मोकामा में खून और राजनीति का खेल! SP समेत तीन अफसर बदले, EC का ऐक्शन, तेजस्वी बोले, यह जंगलराज 2.0 है

पटना, NIA संवाददाता।

बिहार की राजनीति में मोकामा फिर उबल रहा है। जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। चुनाव आयोग ने सख्त तेवर दिखाते हुए शनिवार को बड़ा एक्शन लिया, एसडीओ, एसडीपीओ को हटा दिया गया और पटना ग्रामीण के एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया। साथ ही बिहार के डीजीपी से तुरंत रिपोर्ट मांगी गई है।

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6 नवंबर को मोकामा में वोटिंग है, और इससे ठीक पहले ये हत्या चुनावी माहौल में बारूद की तरह फट गई है। यहां मुकाबला तीन बाहुबलियों की जमीन पर है — जेडीयू के अनंत सिंह, आरजेडी की वीणा सिंह (सूरजभान सिंह की पत्नी) और जनसुराज पार्टी के पीयूष प्रियदर्शी। अब मैदान में सिर्फ प्रचार नहीं, राजनीतिक प्रतिशोध की लपटें भी दिख रही हैं।

“हत्या के बाद भी प्रचार जारी!” विपक्ष का वार

30 अक्टूबर को हुई हत्या के बाद दुलारचंद के परिजनों ने मौजूदा विधायक अनंत सिंह पर हत्या का आरोप लगाया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन जैसे ही मामला सियासी दिशा में मुड़ा, अनंत सिंह ने पलटवार करते हुए सूरजभान सिंह पर आरोप जड़ दिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने विवाद को और बढ़ाया, रिपोर्ट में कहा गया कि मौत गोली से नहीं, बल्कि “सीने की हड्डी और पसलियां टूटने” से हुई। गोली केवल पांव में लगी थी।

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विपक्ष अब सरकार पर खुलकर चढ़ा हुआ है।

तेजस्वी यादव ने कहा ,“नामजद एफआईआर के बावजूद आरोपी थाने के सामने से निकलता है, 40 गाड़ियों का काफिला लेकर प्रचार करता है — यही तो है नया बिहार का ‘जंगलराज 2.0’!”

प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर नीतीश सरकार को घेरा, “जहां हत्याएं वोटों के साए में होती हैं, वहां लोकतंत्र नहीं, डर का राज चलता है।”

दियारा की खामोशी टूटी, फिर उठी बारूद की गंध

कभी गोलियों की गूंज से बदनाम मोकामा का दियारा इलाका कई सालों से शांत था। लेकिन इस हत्या ने पुराना ज़ख्म कुरेद दिया है।
चुनाव से ठीक पहले हुई यह हिंसा न केवल प्रशासन की नींद उड़ाए हुए है, बल्कि लोगों में भय का माहौल भी पैदा कर रही है।
राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहा है , “क्या बिहार फिर से उस दौर में लौट रहा है, जहां बंदूकें वोट से ज़्यादा ताकतवर होती थीं?

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