अयोध्या में ब्लड बैंक प्रभारी के हंगामे पर 6 दिन से फाइलें दबा कर बैठा स्वास्थ्य विभाग
जिला अस्पताल में अधीक्षक से अभद्रता का मामला अब सिस्टम की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहा है। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. फुजैल अंसारी ने सीएमएस कक्ष में खुलेआम हंगामा किया, गाली-गलौज की और मारपीट करने तक पर उतारू हो गए, वह भी अस्पताल प्रशासन के सामने!
पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड है, अधीक्षक ने तत्काल एसआईसी को शिकायत दी। उसके बाद फाइल डीजी हेल्थ और एडी हेल्थ के ऑफिस तक पहुंची… लेकिन वहीं दबी पड़ी है।
बड़ी बातें जो संदेह पैदा करती हैं
✔ 6 दिन बाद भी न नोटिस न स्पष्टीकरण
✔ वीडियो सबूत होने के बावजूद कार्रवाई शून्य
✔ विभागीय अफसर महज दर्शक बने बैठे
✔ आरोपी की पुरानी शिकायतें भी रडार पर
सवाल उठता है —
क्या ब्लड बैंक प्रभारी किसी बड़े संरक्षण में हैं?
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विवाद की जड़ क्या थी?
एक छोटा-सा काम — जांच किट लाने के लिए वाहन की मांग
अधीक्षक ने किट कम होने के कारण बाइक वालों विकल्प की बात कही
और बस —
कुर्सी पर बैठा अधिकारी ‘सुपरबॉस’ बन बैठा!
कर्मचारियों के मुताबिक:
“ये पहली बार नहीं। अक्सर अफसरों से उलझ पड़ते हैं।”
जवाब देने को कोई तैयार नहीं
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश सिंह खुले शब्दों में कहते हैं—
“हमें अब तक उच्चाधिकारियों से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला।”
यानी…
निचला स्तर कार्रवाई चाहता है
ऊपर के स्तर पर चुप्पी!
आखिर किस बात का डर?
➡ क्या मेडिकल माफिया और ब्लड बैंक लॉबी का दबदबा?
➡ क्या किसी बड़े अफसर की शह मिली है?
➡ सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी कार्रवाई से बचने की वजह?
अगर एक अधीक्षक को ही सिस्टम में सुरक्षा नहीं…
तो आम मरीज और कर्मचारी किस हाल में होंगे?
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कौन लेगा जिम्मेदारी?
स्वास्थ्य विभाग गंभीर मामलों में कार्रवाई को लेकर अक्सर सवालों के घेरे में रहा है। यहाँ भी
मामला अस्पताल प्रबंधन की नाक कटने का
फिर भी कार्रवाई “फाइल निपटाओ मोड” में
जनता और मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि है
ऐसे अधिकारियों पर सख्त विभागीय कार्रवाई न होना,
पूरे स्वास्थ्य तंत्र को कमजोर और संदिग्ध बनाता है।
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