करवा चौथ 2025: तिथि, पूजा विधि, कथा, मंत्र, आरती और चंद्र दर्शन का पूर्ण विवरण

लखनऊ, एनआईए संवाददाता। 

🕉️ करवा चौथ का महत्व

भारत में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ सबसे पवित्र और प्रेमपूर्ण व्रतों में से एक है।
यह पर्व पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है।
इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।

करवा चौथ का नाम दो शब्दों से बना है —

  • “करवा” यानी मिट्टी का घड़ा, जो पूजा में उपयोग होता है।

  • “चौथ” यानी कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि

यह व्रत उत्तर भारत के राज्यों — उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में प्रमुख रूप से मनाया जाता है।


करवा चौथ 2025 की तिथि और समय

  • तिथि: शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2025

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्तूबर रात 10:54 बजे

  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्तूबर शाम 7:38 बजे


सरगी और ब्रह्म मुहूर्त का समय

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:40 बजे से 5:30 बजे तक

  • इस समय सास अपनी बहू को सरगी देती है, जिसमें मिठाई, फल, पराठा, मेवे और शुभ वस्त्र शामिल होते हैं।

  • सूर्योदय से पहले सरगी खाना शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके बाद व्रत शुरू हो जाता है।


व्रत और पूजा का समय

  • व्रत प्रारंभ: सुबह 6:19 बजे

  • व्रत समाप्त (चांद निकलने के बाद): रात 8:13 बजे

  • कुल अवधि: लगभग 13 घंटे 54 मिनट


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करवा चौथ पूजा मुहूर्त

  • शुभ पूजा का समय: शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक

  • कुल अवधि: 1 घंटा 14 मिनट

इस समय महिलाएं एकत्र होकर करवा माता और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, कथा सुनती हैं और मंगलकामना करती हैं।


चंद्र दर्शन का समय

  • चांद निकलने का अनुमानित समय: रात 8:13 बजे
    (विभिन्न शहरों में यह समय 5–10 मिनट आगे-पीछे हो सकता है।)


पूजा सामग्री सूची

  1. भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और करवा माता की तस्वीर या मूर्ति

  2. करवा (ढक्कन सहित), दीपक, कपूर, अगरबत्ती

  3. चावल, फूल, शक्कर, दूध, शहद, चंदन, मिठाई

  4. चुनरी, साड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, बिछुआ

  5. जल का लोटा, लकड़ी का आसन, गौरी बनाने हेतु पीली मिट्टी

  6. पूरियों की अठावरी, हल्दी, दक्षिणा, फल आदि                                                                                                                                                                                                                                                                                     करवा चौथ पूजा विधि (Step-by-Step)

1️⃣ सुबह का भाग (सरगी और संकल्प)

  • सूर्योदय से पहले सरगी खाएं।

  • स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और संकल्प लें —

    “मैं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए करवा चौथ व्रत का संकल्प लेती हूँ।”

2️⃣ दिनभर का नियम

  • पूरे दिन निर्जला व्रत रखें।

  • भगवान शिव-पार्वती और करवा माता का स्मरण करें।

  • क्रोध, नकारात्मकता और विवाद से दूर रहें।

3️⃣ शाम की पूजा (मुख्य अनुष्ठान)

  • शाम को लाल या पीले वस्त्र पहनें।

  • आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी-देवताओं की स्थापना करें।

  • दीपक जलाएं और “वक्रतुंड महाकाय…” मंत्र से गणेश जी की पूजा करें।

  • शिव-पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और करवा माता को जल, फूल, अक्षत, सिंदूर, मिठाई अर्पित करें।

  • करवा चौथ की कथा श्रद्धा से सुनें।

4️⃣ चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य

  • चांद निकलने पर थाली में दीपक, छलनी, जल का लोटा और मिठाई रखें।

  • छलनी से चांद को देखें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें 👇

चंद्र अर्घ्य मंत्र:

ओम् सोमाय नमः।
ओम् चंद्राय नमः।
हे चंद्र देव! मेरे पति को दीर्घायु और सुख का वरदान दें।

  • फिर छलनी से अपने पति का चेहरा देखें, उनके हाथ से जल या मिठाई ग्रहण करें और व्रत खोलें।


करवा चौथ व्रत कथा (पूर्ण कथा)

बहुत समय पहले एक साहूकार की सात बेटे और एक बेटी थी — वीरावती
पहली बार करवा चौथ व्रत के दिन उसने उपवास रखा।
शाम होते-होते वह भूख-प्यास से बेहोश होने लगी।

भाइयों ने छल से दीपक को पेड़ पर रख दिया और कहा —

“बहन, चांद निकल आया है, अब व्रत तोड़ लो।”

वीरावती ने भाइयों की बात मान ली और व्रत तोड़ दिया।
परिणामस्वरूप उसके पति की तबीयत बिगड़ गई और वह अचेत हो गया।

वह माता पार्वती की शरण में गई। माता ने कहा —

“तुमसे भूल हुई है। अगली बार पूरे नियम से करवा चौथ का व्रत करो।”

अगले वर्ष वीरावती ने पूरे विधि-विधान से व्रत रखा और उसका पति स्वस्थ हो गया।
तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए शुभ माना गया।


करवा चौथ पूजा के मंत्र

गणेश जी के लिए:

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

करवा माता के लिए:

करवा देवी नमस्तुभ्यं सुहाग्यं देहि मे सदा।
पतिव्रता त्वया भक्त्या, प्रसीद मम सुन्दरि॥

चंद्र अर्घ्य मंत्र:

ओम् चंद्रमसे नमः।
मम सौभाग्यं सुखं सौख्यं आरोग्यं देहि च।
पतिं च दीर्घमायुष्यम् कुरु देव नमोऽस्तु ते॥


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करवा चौथ की आरती

जय करवा माता, जय जय करवा माता।
सुहागिनों की रक्षक, अखंड सौभाग्य दाता॥

तेरी पूजा से होता, पति का जीवन लंबा।
सुहागिनें करती आरती, मन में रखती ममता॥

चांद निकलते ही नारियाँ, छलनी ले देखे रूप।
तेरा वरदान पाएं माता, मिटे सभी संताप स्वरूप॥

जय करवा माता, जय जय करवा माता॥


करवा चौथ में क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • सूर्योदय से पहले सरगी खाएं।

  • पूजा में लाल या पीले वस्त्र पहनें।

  • श्रद्धा, शांति और भक्ति बनाए रखें।

क्या न करें:

  • चांद दिखने से पहले व्रत न तोड़ें।

  • दिनभर किसी से विवाद या अपशब्द न कहें।

  • व्रत के दौरान झूठ या छल न करें।


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करवा चौथ का संदेश

करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
यह व्रत विवाह में नारी की आस्था, तप और त्याग का प्रतीक बन गया है।
जब पत्नी सच्चे मन से अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है — तो उसका प्रेम अमर हो जाता है।


सभी सुहागिनों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!

“माता पार्वती की कृपा से आपके पति हों दीर्घायु,
जीवन में बना रहे अखंड सौभाग्य और सदा प्रेम का उजाला।”

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