सत्ता की साझेदारी मिली, पर सम्मान नहीं! योगी सरकार की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) की हालत अब ‘सरकार में भी बेगानी’ जैसी हो गई है। पार्टी नेताओं का आरोप है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार की सड़ांध इस कदर फैल चुकी है कि अधिकारी तो दूर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं!
मजबूरी ऐसी कि अपनी ही सरकार के खिलाफ SBSP को सड़क पर उतरकर धरना देना पड़ा — और नगर निगम पर भ्रष्टाचार की बुलेट चार्जशीट दाग दी।
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भ्रष्टाचार की “28 बिंदुओं वाली” बारूद, निगम की पोल खोल
पार्टी के आरोपों के अनुसार —
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मुरादाबाद नगर निगम में नौकरी बिना पैसे मिलती ही नहीं
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600 भर्तियों में प्रति व्यक्ति ₹2 लाख तक की उगाही
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सफाईकर्मियों की भर्ती में भी ₹1–1.5 लाख की दलाली
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होर्डिंग्स से लेकर टैक्स तक — हर दफ्तर में रेटफिक्स
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जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र तक के लिए रिश्वत — जीना-मरना भी महंगा!
वरिष्ठ अफसरों की मिलीभगत?
अपर नगर आयुक्त अजीत सिंह पर भारी आरोप —
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भूमि गबन
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वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का खेल
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मेला शुल्क में मोटी मलाई
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट या स्मार्ट लूट!
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ठेकों में खुली मनमानी
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छोटे दुकानदारों का आर्थिक शोषण
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10 महीने का किराया पहले जमा करो — वरना दुकान खाली करो!
जनता त्रस्त, निगम मस्त!
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शहर में कूड़े का पहाड़
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शिकायतकर्ता को दुत्कार और बदसलूकी
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कूड़ेदान और गमलों की खरीद में करोड़ों का खेल
और ये सब उस शहर में, जहां विकास की बात की जाती है!
SBSP की सीधी चेतावनी, सड़क भी हमारी, सदन भी हमारा!
सुहेलदेव समाज पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल से फ़ौरन जांच की मांग करते हुए कहा कि
“अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन विधानसभा के दरवाज़े तक पहुंचेगा। सत्ता में रहकर भी हमें लड़ना पड़े — इससे शर्मनाक और क्या!”
सियासी संदेश साफ
SBSP का यह आंदोलन सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं…
बल्कि सत्ता में अपनी अनदेखी और अपमान के खिलाफ राजनीतिक दस्तक भी है!
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