करोड़ों के प्लॉट हड़पे, LDA अफसर बने दलाल–फर्जीवाड़े का काला सच उजागर

लखनऊ, एनआईए संवाददाता। 

गोमतीनगर की कीमती जमीनें, जिनकी कीमत करोड़ों में है, एलडीए के अफसरों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्री कर बेच डाली गईं। सदर के उप निबंधक द्वितीय प्रभाष सिंह ने एफआईआर दर्ज कराते हुए साफ कहा है – रजिस्ट्री के कागजों से लेकर अफसरों के दस्तखत तक सब नकली हैं।

यानी, जनता की जमीन बेचकर मलाई काटने वालों ने विभाग को ही दलाली का अड्डा बना डाला।

फर्जीवाड़े का खुलासा

विक्रय विलेख नंबर 7398/2001 से 7426/2001 तक के कई दस्तावेजों में छेड़छाड़।

कागज की क्वॉलिटी अलग, मुहर फर्जी और दस्तखत भी मेल नहीं खाते।

नतीजा – करोड़ों का प्लॉट इधर से उधर।

गोरखधंधे में शामिल अफसर

एलडीए के प्रभारी संपत्ति अधिकारी अनीता श्रीवास्तव, केके सिंह, एसडी दोहरे, अनूप शुक्ला, संतोष मुर्डिया और अनुभाग अधिकारी एबी तिवारी, आरके मिश्रा, विद्यासागर पर गंभीर आरोप।
यानि, जिन पर पारदर्शिता का जिम्मा था, वही बने फर्जीवाड़े के ठेकेदार।

बाहरी खिलाडिय़ों की फौज

लखनऊ से लेकर कानपुर, उन्नाव, सीतापुर और वाराणसी तक के दर्जनों लोगों ने अफसरों के साथ मिलकर इस जमीन खेल को अंजाम दिया।

दूसरी तरफ – अवैध कब्जों का साम्राज्य

एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने जब निरीक्षण किया तो हालात और बदतर निकले।

रेलवे स्टेशन के पास 3200 वर्ग मीटर का कमर्शल प्लॉट झुग्गियों और धंधों से पटा मिला।

लोहिया संस्थान के पास ठेले-खोमचे और कार वॉश सेंटर।

पॉलिटेक्निक चौराहे के पास नीलामी के बावजूद बिना रजिस्ट्री वाले कब्जे।

कमिटी बनी है, रिपोर्ट 15 दिन में आएगी और उसके बाद प्लॉट ई-ऑक्शन में जाएंगे।

निचोड़ ये है –
लखनऊ में जमीन खरीदने वालों से ज्यादा, बेचने वालों की चालाकी बड़ी है। एलडीए का सिस्टम ही जब दलालों और अफसरों की सांठगांठ से सड़ा हुआ है, तो जनता का भरोसा आखिर कहां बचेगा?

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