उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अब पालतू बिल्लियां पालना आसान नहीं होगा। नगर निगम ने बड़ा फैसला लेते हुए बिल्ली पालने वालों के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। आदेश के मुताबिक जिन लोगों के घरों में पहले से बिल्लियां हैं, उन्हें भी हर साल रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
यह भी पढ़ें: सहारा साम्राज्य: लखनऊ में ढहती इमारतें और सिमटता रसूख
नगर निगम के पशुकल्याण अधिकारी डॉ. अभिनव वर्मा ने बताया कि बिल्ली पालने का लाइसेंस एक साल के लिए बनेगा और इसका शुल्क 500 रुपये रखा गया है। वहीं, बिना लाइसेंस बिल्ली पालने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगेगा। लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया 27 सितंबर से शुरू हो चुकी है। अधिक जानकारी के लिए नगर निगम कर्मचारी जयंत सिंह (मो. 9511156792) से संपर्क किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें : KGMU में HRF काउंटर पर भ्रष्टाचार: बिना बिल दवा, कैश पेमेंट का खेल उजागर
क्यों लिया गया ये फैसला?
लखनऊ नगर निगम का कहना है कि पालतू जानवरों के कारण अक्सर रेबीज संक्रमण का खतरा बढ़ता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, दुनिया में हर 9 मिनट में रेबीज से एक मौत होती है। 99% मामले कुत्तों और बिल्लियों के काटने या खरोंचने से होते हैं। WHO के आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों लोग रेबीज की वजह से जान गंवाते हैं, जिनमें 40% पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं।
यह भी पढ़ें : यूपी सरकार ने किसानों के लिए किया ऐलान,खरीद एक अक्टूबर से, 48 घंटे में हो भुगतान
रेबीज वायरस इंसान के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और 100% घातक होता है। यही वजह है कि पालतू जानवरों के रजिस्ट्रेशन और टीकाकरण को अनिवार्य किया गया है, ताकि संक्रमण पर नियंत्रण रखा जा सके।