किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) का नाम देश की नामचीन संस्थाओं में आता है। यहां इलाज के लिए न सिर्फ यूपी बल्कि दूसरे राज्यों से भी मरीज आते हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि बीमारी से जूझते मरीज और उनके परिजन अब अस्पताल की लापरवाहियों और बेईमानियों से भी जूझने को मजबूर हैं।
ताजा मामला HRF काउंटर का है, जहां से मरीजों को दवा मिलती है। नियम साफ कहते हैं—हर दवा की बिलिंग अनिवार्य है। लेकिन केजीएमयू में यह नियम खुलेआम ध्वस्त किया जा रहा है। तीमारदार कैश पेमेंट करें और बिना बिल के दवा लेकर चलते बनें।
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बिना बिल दवा = बिना जवाबदेही
47 साल की महिला और 38 साल की दूसरी मरीज के मामले तो सिर्फ बानगी हैं। काउंटर पर बैठे लोग दवा तो थमा देते हैं, लेकिन बिल की मांग करने पर सीधे कह देते हैं—“जहां बिल मिले, वहां से दवा ले लीजिए।” सवाल है कि आखिर क्यों मरीज को उसके अधिकार से वंचित किया जा रहा है? दवा की असली कीमत और क्वालिटी पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है?
कैश की जिद क्यों?
ऑनलाइन पेमेंट का जमाना है, सरकार खुद डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही है। लेकिन HRF काउंटर पर UPI स्कैनर तो लगा है, पर “भीम एप से लिंक नहीं” होने की कहानी सुनाकर मरीजों को कैश पेमेंट के लिए मजबूर किया जाता है। वजह साफ है—डिजिटल पेमेंट से हिसाब-किताब रिकॉर्ड हो जाएगा और हेराफेरी की गुंजाइश नहीं बचेगी।
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GST दरें कम, लेकिन मरीज पर बोझ ज्यादा
कई मरीजों का आरोप है कि GST की दरों में कटौती का फायदा उन्हें नहीं मिल रहा। पुराने रेट पर ही दवाएं बेची जा रही हैं। बिल न देने का यही बड़ा कारण है—अगर बिल दिया जाएगा तो नया रेट लागू करना ही पड़ेगा। साफ है, यह खेल ऊपर तक की मिलीभगत से चल रहा है।
सवाल प्रशासन से
HRF काउंटर की मॉनिटरिंग कौन कर रहा है?
क्यों मरीजों को बिल से वंचित किया जा रहा है?
क्या यह “कैश में कलेक्शन” की सोची-समझी साजिश है?
नए GST रेट लागू करने से किसे नुकसान हो रहा है?
नतीजा – नाराजगी और अविश्वास
मरीज पहले से ही बीमारी और खर्च के बोझ तले दबा है। ऊपर से इस तरह का व्यवहार, अड़ियल रवैया और लूटखसोट उसकी पीड़ा को कई गुना बढ़ा देता है। सवाल उठता है कि अगर KGMU जैसे संस्थान में पारदर्शिता नहीं है तो छोटे अस्पतालों से क्या उम्मीद की जा सकती है?
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KGMU प्रशासन को जवाब देना होगा। मरीज और तीमारदार दवा लेने आते हैं, ब्लैक मार्केटिंग का शिकार बनने नहीं। बिना बिल दवा देना सिर्फ नियमों की अवहेलना नहीं, यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का खुला खेल है। केजीएमयू प्रवक्ता का कहना है कि सॉफ़टवेयर अपडेट नहीं होने के कारण तीमारदारों से बाद में बिल लेने को कहा जा रहा है, दवाएं नए दर उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
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