साहब हैं, पर स्टाफ नहीं! यूपी के 75 जिला होम्योपैथी दफ्तरों में ई-ऑफिस का आदेश, काम कैसे चलेगा?

लखनऊ, NIA संवाददाता।

सरकार ने प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी (DHMOs) के दफ्तरों में ई-ऑफिस लागू करने का आदेश तो दे दिया, मगर ज्यादातर दफ्तरों में ऐसी स्थिति है कि साहब तो हैं, मगर उनके नीचे एक भी कर्मचारी नहीं!

दफ्तर खुलते हैं, अधिकारी बैठते हैं, लेकिन न फाइलें तैयार करने वाला बाबू है, न कंप्यूटर ऑपरेटर, न टाइपिस्ट, न लेखा लिपिक और न ही चपरासी। हालात इतने खराब हैं कि कई जिलों में मिलने आए लोगों को पानी तक पूछने वाला कोई नहीं मिलता।

फाइलें ठंडे बस्ते में

दो साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने इन कार्यालयों के लिए नए पद सृजन करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन उनका ट्रांसफर होते ही वह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। स्थिति यह है कि 45 से अधिक जिलों में सामान्य पत्राचार तक करना मुश्किल हो गया है।

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50 जिलों में किया संबद्ध, 28 ने जॉइन किया… बाद में कई वापस लौट गए

प्रांतीय होम्योपैथी चिकित्सा सेवा संघ के मुताबिक हालात बिगड़ते देख 75 में से 50 जिलों को कुछ समय पहले लिपिक उपलब्ध कराए गए थे। इनमें 28 ने जॉइन तो किया, लेकिन बाद में कई ने संबद्धता समाप्त कराकर अपने मूल विभाग लौटना सुरक्षित समझा।

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प्रमुख सचिव को ज्ञापन

स्टाफ की कमी के चलते ई-ऑफिस व्यवस्था लागू करना लगभग असंभव है। इसी को लेकर संघ ने प्रमुख सचिव समेत शासन को ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि बिना लिपिकीय स्टाफ के ई-ऑफिस महज ‘कागजी आदेश’ बनकर रह जाएगा।

निदेशक का बयान

“जिला होम्योपैथी अधिकारी कार्यालयों में पद सृजन की प्रक्रिया शासन स्तर पर चल रही है। प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है। फिलहाल कुछ जिलों में सीएमएस कार्यालयों से बाबुओं को संबद्ध किया गया है। जल्द ही दिक्कत दूर होगी।”
— पी.के. सिंह, निदेशक, होम्योपैथी निदेशालय

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