एलडीए में भ्रष्टाचार की गूंज! जनता अदालत में फूटा गुस्सा-फरियादी बोले, “रजिस्ट्री रुकी है, फर्जीवाड़ा चल रहा है, अधिकारियों की मिलीभगत साफ दिखती है”

लखनऊ, NIA संवाददाता।

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की जनता अदालत गुरुवार को भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों से गूंज उठी। कार्यालय परिसर में अफसरों के सामने फरियादियों ने एक-एक करके अपना गुस्सा उंडेला। समस्या सुनने आए सचिव विवेक श्रीवास्तव, अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा सहित मौजूद अधिकारियों के सामने ऐसी शिकायतें रखी गईं, जिनसे एलडीए की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।

दो साल से रजिस्ट्री अटकी-200 लोगों की फाइलें धूल फांक रहीं!

कानपुर निवासी राजेंद्र कुमार जनता अदालत में फूट पड़े। उन्होंने बताया कि 2023 में वसंत कुंज योजना में प्लॉट खरीदा, पूरा पैसा जमा किया-लेकिन आज तक रजिस्ट्री नहीं।

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राजेंद्र का आरोप-

“हम 200 खरीदार दो साल से चक्कर काट रहे हैं।”

“हर दफ्तर में एक ही जवाब-6 महीने में हो जाएगी।”

“एलडीए में फाइलें चलने के बजाय टालमटोल का खेल चल रहा है।”

उनकी बात सुनकर अदालत में मौजूद दूसरे खरीदार भी सहमति में सिर हिलाते दिखे।

“मेरी फोटो लगाकर फर्जी रजिस्ट्री कराई”—दयाशंकर का सनसनीखेज आरोप

फरियादी दयाशंकर ने जनता अदालत में जो कहा, उसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को चौंका दिया।

उनका आरोप-

एलडीए के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से उनकी फर्जी रजिस्ट्री करा दी गई।

“मेरी फोटो का इस्तेमाल कर नकली दयाशंकर को सामने खड़ा कर दिया गया।”

तत्कालीन मंडलायुक्त ने FIR के आदेश दिए थे, लेकिन एलडीए ने अब तक पुलिस को पत्र तक नहीं भेजा।

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दयाशंकर बोले-
“यह साफ दिखाता है कि मामला दबाने की कोशिश हो रही है।”

यह आरोप एलडीए की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल उठाता है।

अवैध निर्माण, दूषित पानी और बर्बाद होती फसल-नफीस ने उठाया बड़ा पर्यावरणीय घोटाला

कुर्सी रोड निवासी नफीस ने जनता अदालत में एक और गंभीर मुद्दा उठाया—
उनका आरोप है कि बेहटा गांव में बिना स्वीकृति के 100+ फ्लैटों का निर्माण कराया गया है।

नफीस ने कहा-

“न कोई नक्शा पास, न कोई सीवेज प्लांट!”

“दूषित पानी ज़मीन में जा रहा है… सिंचाई का पानी खराब हो चुका है।”

“दो साल से हमारी फसलें बर्बाद हो रही हैं, एलडीए चुप्पी साधे बैठा है।”

उन्होंने आगे कहा कि दूषित पानी करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में पीने लायक भी नहीं रहा।

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जनता अदालत बना ‘आरोपों का महाघोष’लेकिन क्या कार्रवाई होगी?

जनता अदालत में जितने लोग आए, उनमें से अधिकांश की शिकायत एक ही थी—
एलडीए की धीमी कार्यप्रणाली, कथित मिलीभगत और अनसुनी शिकायतें।

अफसरों ने हर मामले में “जांच होगी, समाधान होगा” का भरोसा तो दिया,
लेकिन जनता अदालत में उठे प्रश्न कहीं अधिक गहरे और चुभते हैं;

रजिस्ट्री दो साल से क्यों लटकी है?

फर्जी रजिस्ट्री का मामला आगे क्यों नहीं बढ़ा?

अवैध निर्माण होने के बावजूद कार्रवाई क्यों रुकी है?

दूषित पानी से फसलें बर्बाद हो रहीं-किसकी जिम्मेदारी तय होगी?

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