नगर निगम लखनऊ का पेट्रोल–डीजल बजट फूला! ठेके पर पूरी सफाई, फिर 62% बढ़ोतरी क्यों? बड़े सवाल खड़े

लखनऊ, NIA संवाददाता।

लखनऊ नगर निगम के पुनरीक्षित बजट ने हैरान कर दिया है। चालू वित्तीय वर्ष में जहां पेट्रोल–डीजल मद के लिए 20 करोड़ रुपए रखे गए थे, वहीं संशोधित बजट में इसे बढ़ाकर सीधे 32.50 करोड़ रुपए कर दिया गया। यानी 62% की बढ़ोतरी और 12.50 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ।

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सबसे बड़ा सवाल-जब शहर की पूरी सफाई ठेके पर दे दी गई है तो ईंधन खर्च इतना बढ़ कैसे गया?

सफाई से लेकर कूड़ा उठान तक सब ठेके पर, फिर इतना खर्च कैसे?

नगर निगम ने सफाई का लगभग हर काम निजी कंपनियों को सौंप दिया है—

घर-घर कूड़ा कलेक्शन

पड़ाव स्थलों से उठान

सभी सड़कों की सफाई

नालियों की सफाई

पार्कों का रखरखाव

सड़क-नाली मेंटेनेंस

राम की कंपनी 5 जोन में, जबकि लायंस एनवायरो 3 जोन में काम कर रही है।
राम की कंपनी तो बैटरी वाहन भी बड़े पैमाने पर चला रही है।

फिर सवाल उठना लाज़मी है—नगर निगम के वाहनों में पेट्रोल–डीजल आखिर जा कहां रहा है?

पहले भी उठते रहे पेट्रोल–डीजल घोटाले के आरोप

नगर निगम में ईंधन खपत को लेकर

डीजल चोरी,

फर्जी सप्लाई,

ढीली मॉनिटरिंग
जैसे आरोप पहले भी सामने आ चुके हैं।

पिछले कुछ वर्षों में निगरानी और कम हुई है। ऐसे में अनियमितता की आशंका और बढ़ जाती है।

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दावा था बजट 10 करोड़ में सिमट जाएगा, लेकिन खर्च 39.48 करोड़ निकला

जब सफाई मशीनरी और कूड़ा उठान ठेके पर दिया गया था, तब अधिकारियों ने दावा किया था कि ईंधन खर्च 10 करोड़ से कम रहेगा।
लेकिन 2024–25 में वास्तविक खर्च 39.48 करोड़ दर्ज हुआ।

इसी आधार पर इस वर्ष 20 करोड़ का प्रावधान किया गया और 19.48 करोड़ की कटौती भी दिखाई गई।
लेकिन पुनरीक्षित बजट में राशि फिर 12.50 करोड़ बढ़ाकर 32.50 करोड़ कर दी गई।

30 सितंबर तक ही 14.79 करोड़ खर्च

बजट दस्तावेज़ बताते हैं कि 30 सितंबर तक ही 14.79 करोड़ रुपए ईंधन पर खर्च हो चुके थे—
जबकि अधिकांश काम निजी कंपनियां कर रही हैं, जिनका ईंधन खर्च वे खुद वहन करती हैं।

कार्यकारिणी में उठा बड़ा सवाल, अधिकारी जवाब न दे सके

कार्यकारिणी बैठक में कई सदस्यों ने इस बढ़ोतरी पर गंभीर सवाल दागे।
अधिकारियों से पूछा गया—
“जब सभी काम ठेके पर हैं तो पेट्रोल–डीजल का खर्च इतना बढ़ कैसे गया?”

लेकिन अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे सके।

अन्नू मिश्रा का बड़ा आरोप

कार्यकारिणी सदस्य अनुराग मिश्रा ‘अन्नू’ ने बैठक में सवाल उठाते हुए कहा—
“जब कंपनियां अपना ईंधन खुद खर्च करती हैं, तब बजट बढ़ोतरी क्यों? यह डीजल–पेट्रोल आखिर जा कहां रहा है? मुझे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।”

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