लखनऊ। पीजीआई में निदेशक और डॉक्टरों के बीच लंबे समय से चल रही भीतरघात सामने आ गई। पीजीआई के डॉक्टरों का फैकल्टी फोरम मंगलवार को खुलकर विरोध पर अड़ गया। फोरम ने साफ कर दिया है कि निदेशक का यदि सेवा विस्तार हुआ तो पुरजोर विरोध होगा।
यह भी दावा किया कि वर्तमान निदेशक के कार्यकाल में संस्थान के 24 डॉक्टरों ने पीजीआई छोड़ दिया है। फोरम ने मांग की है कि पीजीआई निदेशक के चयन में एक्ट का पूरा पालन किया जाए। फोरम ने राज्यपाल, मुख्य सचिव को भी सारे मामलों को बताते हुए पत्राचार किया है। एसजीपीजीआई फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष डॉ. अमिताभ आर्या और महामंत्री डॉ. पुनीत गोयल ने मंगलवार को संस्थान के टेलीमेडिसिन विभाग में प्रेसवार्ता की। फोरम के द्वय पदाधिकारियों ने बताया कि निदेशक का कार्यकाल सात फरवरी को समाप्त हो रहा है। फोरम ने कहा कि निदेशक के चयन में संस्थान के एक्ट का पूरी तरह पालन किया जाए।
संस्थान के एक्ट (1983) के अनुसार निदेशक पद चयन के लिए 65 साल या पांच साल जो भी पहले यह तय किया गया है। निदेशक का कार्य पांच साल को होता है, इसलिए जिसकी उम्र 60 साल या इससे कम उसे ही निदेशक बनाया जाए, जिससे वह पांच साल तक संस्थान की प्रगति और हित के लिए काम कर सके। नियमानुसार 65 साल की आयु के बाद निदेशक संस्थान में सेवा नहीं दे सकते है। फैकल्टी फोरम का कहना है कि वर्तमान निदेशक को विस्तार दिया जाना नियमों के विरुद्ध होगा।
जब तक निदेशक का चयन नहीं होता है। तब तक के लिए संस्थान के सबसे वरिष्ठ संकाय सदस्य को कार्यकारी निदेशक बनाया जाए, जैसा कि पहले हमेशा होता रहा है। फैकल्टी फोरम ने आरोप लगाया कि निदेशक का कार्यकाल खत्म होने वाला है। कार्यकाल समाप्त होने से तीन माह पहले निदेशक के सारे अधिकार सीज करने का नियम है। इसके बाद भी संकाय सदस्य समेत अन्य नियुक्ति प्रक्रिया उनके स्तर से ही कराई जा रही हैं। यदि निदेशक को एक्सटेंशन दिया जाता है तो फैकल्टी फोरम आमसभा बुलाकर आगे की कार्रवाई तय करेगी।