सीरिया में तख्तापलट होने से रूस और ईरान को झटका, अमेरिका का भी अब बढ़ेगा दखल

नई दिल्ली। मिडिल ईस्ट के मुस्लिम राष्ट्र सीरिया में तख्तापलट हो चुका है। विद्रोही गुट और कभी अलकायदा से संबंध रखने वाले हयात तहरीर अल-शाम ने बशर अल असद की 30 साल पुरानी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंका है। असद परिवार की 50 साल पुरानी तानाशाही कुछ ही दिनों के संघर्ष में समाप्त हो गई है। सीरिया में तख्तापलट ने ईरान की नींद उड़ा दी है। ऐसा इसलिए हमास, हिजबुल्लाह के बाद ईरान के प्रमुख सहयोगियों में सीरिया की बशर सरकार भी थी। ईरान में हलचल तेज हो गई है।

सीरियाई विद्रोहियों ने रविवार को दमिश्क पर कब्ज़ा करने के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद को पद से हटाने की घोषणा की। जिससे उन्हें भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि इस बीच ये भी चर्चाएं हैं कि बशर का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है या विद्रोहियों ने मार गिराया है। उनका विमान रडार से गायब है। राष्ट्रपति बशर अब कहां हैं? और उनकी पत्नी अस्मा और उनके दो बच्चों का भी कुछ अता-पता नहीं है। वहीं, विद्रोहियों ने सीरिया के प्रधानमंत्री को कैद कर लिया है।

सुन्नी विद्रोहियों के सीरिया पर कब्जा करने से रूस और ईरान को झटका दिया है, खासकर ईरान की नींद उड़ा दी है। ये सीरिया के प्रमुख सहयोगी रहे हैं, जिन्होंने 2011 में तहरीर अल-शाम को हराने में सीरिया की मदद की थी। ईरान के अंग्रेजी भाषा प्रेस टीवी ने रविवार को बताया कि दमिश्क पर कब्जे के बाद सीरियाई विद्रोहियों ने ईरान के दूतावास पर हमला कर दिया। सीरिया की सेना कमान ने रविवार को अधिकारियों को सूचित किया कि असद का शासन समाप्त हो गया है, लेकिन सेना ने बाद में कहा कि वह हामा और होम्स के प्रमुख शहरों और डेरा ग्रामीण इलाकों में आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखे हुए है।

ईरान की टेंशन और अधिक हुई
ईरान के मीडिया ने सुन्नी विद्रोहियों को काफिर आतंकवादी कहने के बजाय उन्हें सशस्त्र समूह कहना शुरू कर दिया है और कहा है कि उन्होंने अब तक शिया अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा व्यवहार किया है। ईरान इंटरनेशनल ने अपने विश्लेषण में लिखा कि सीरिया में तख्तापलट ने ईरान के क्षेत्रीय गठबंधकों को अस्थिर कर दिया है। आर्टिकल में लिखा गया है कि ईरान इसलिए भी बैचेन है, क्योंकि वह सीरिया की मदद नहीं कर पाया। इसके पीछे की वजह हमास और हिजबुल्लाह का कमजोर होना है।

इजरायल ने 14 महीने की जंग में हमास और हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है। हमास और हिजबुल्लाह चीफ के खात्मे के बाद से दोनों आतंकी संगठन कमजोर हो गए हैं और 2011 जैसी स्थिति अब नहीं है। इजरायल ने यह सब कर दिखाया है – अमेरिका की जो बाइडेन सरकार से मिले हथियारों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के दम पर।

उधर, ईरान को हमास, हिजबुल्लाह के बाद अब सीरिया से झटका मिला है। पिछले कुछ समय से इन तीनों मोर्चों से ईरान की नींद उड़ गई है। उधर, अब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होना भी ईरान को नई टेंशन देगा।

अब और कमजोर होगा हिजबुल्लाह
ईरान ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को दशकों तक समर्थन दिया है, जिससे उन्हें गृहयुद्ध से बचने में मदद मिली है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, ईरान देश के पश्चिमी भाग में हिजबुल्लाह को हथियार आपूर्ति करने के लिए सीरिया का उपयोग मार्ग के रूप में करता रहा है।

अब सीरिया पर सुन्नी संगठनों के कब्जे से ईरान को हिजबुल्लाह की मदद भेजना आसान नहीं होगा। ईरान ने बीते शुक्रवार से ही सीरिया से अपने कुद्स बल के कर्मियों और सैन्य अधिकारियों को इराक और लेबनान जैसे पड़ोसी देशों में भेजना शुरू कर दिया है।