उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि के पट्टों को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब किसी भी व्यक्ति को एक एकड़ से अधिक कृषि भूमि का पट्टा नहीं मिलेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार राजस्व संहिता-2006 में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। उच्च स्तर पर इस प्रस्ताव पर सहमति बन चुकी है।
मौजूदा व्यवस्था क्या है?
राजस्व संहिता-2006 की धारा 125 के तहत भूमिहीनों को पट्टे पर भूमि आवंटित करने का प्रावधान है। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार किसी व्यक्ति को अधिकतम 1.26 हेक्टेयर (लगभग 3.113 एकड़) भूमि दी जा सकती है। इसमें पहले से उसके पास मौजूद जमीन भी गिनी जाती है।
क्यों हो रहा है बदलाव?
प्रदेश में जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है। ऐसे में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि किसी भी व्यक्ति को अब एक एकड़ से अधिक का पट्टा न दिया जाए। इसका उद्देश्य है कि अधिक से अधिक भूमिहीन परिवारों तक पट्टे की सुविधा पहुंच सके।
नई व्यवस्था क्या होगी?
अब अधिकतम एक एकड़ तक ही भूमि पट्टे पर दी जाएगी।
पट्टा असंक्रमणीय होगा यानी इसे किसी और को बेचा नहीं जा सकेगा।
भूमि मिलने के पांच वर्ष बाद ही संक्रमणीय भूमिधर अधिकार मिलेंगे, तब जाकर पट्टाधारक उसे बेच सकेगा।
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राजस्व परिषद ने भेजा प्रस्ताव
राजस्व परिषद ने इस नई व्यवस्था का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस बदलाव से भूमिहीनों को न्यायपूर्ण तरीके से भूमि का आवंटन संभव हो पाएगा।
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