जिला अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिस डॉक्टर के इस्तीफे की चर्चा पहले से ही विभागीय गलियारों में चल रही थी, उसी के नाम पर ईएनटी विभाग में डीएनबी मान्यता के लिए आवेदन भेज दिया गया। अब जब डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया है, तो पूरा प्रस्ताव धरा का धरा रह गया है। यह चूक नहीं, बल्कि खुली लापरवाही और अफसरशाही की नजीर है।
इस्तीफा तय था, फिर भी प्रस्ताव भेजा
ईएनटी विभाग में तैनात सर्जन डॉ. अजीत कुशवाहा के नाम पर आवेदन किया गया था। विभाग को भली-भांति मालूम था कि वे कभी भी त्यागपत्र दे सकते हैं। इसके बावजूद जिला अस्पताल प्रशासन ने उनके नाम का प्रस्ताव नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) को भेज दिया। यह दूरदर्शिता नहीं, बल्कि अंधी प्रशासनिक प्रक्रिया का नमूना है।
यह भी पढ़ें : लखनऊ में बदला रहेगा आज रूट, इन रास्तो से होकर नहीं जा सकते
एनबीई ने मांगे दस्तावेज, लेकिन डॉक्टर ही चले गए
एनबीई ने आवेदन पर कार्रवाई करते हुए डॉ. कुशवाहा की तीन महीने की वेतन पर्ची मांगी। लेकिन इससे पहले ही उनका चयन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हो गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नतीजा—जिला अस्पताल अब मांगे गए दस्तावेज तक उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है।
विभाग में दोनों पद रिक्त
जिला अस्पताल में ईएनटी सर्जन के दो पद हैं, लेकिन अफसरों की “मेहरबानी” से दोनों ही खाली हो गए। मजबूरी में प्रशासन ने श्रीराम चिकित्सालय के डॉ. सौम्य तिवारी को सम्बद्ध किया है।
सवालों के घेरे में प्रशासन
पूर्व सीएमएस डॉ. ए.के. सिन्हा के कार्यकाल में भेजा गया यह प्रस्ताव अब मजाक बनकर रह गया है। सवाल यह है कि जब विभाग को पहले से डॉक्टर के इस्तीफे की जानकारी थी, तो आखिर किस दबाव या लापरवाही में उनके नाम पर आवेदन भेजा गया?
यह भी पढ़ें : आजम खां ने तोड़ी चुप्पी: अखिलेश यादव मेरे अजीज, मैं सपा में ही रहूंगा
अधीक्षक की सफाई
जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी का कहना है— “डॉ. अजीत कुशवाहा के इस्तीफे से डीएनबी मान्यता की प्रक्रिया पर असर पड़ा है।” लेकिन सच्चाई यह है कि यह असर नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया की बर्बादी है।
कुल मिलाकर, यह घटना जिला अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अफसरों की उदासीनता की पोल खोलती है। जो अवसर अयोध्या को मेडिकल शिक्षा में आगे ले जा सकता था, वह अफसरशाही की वजह से हाथ से फिसल गया।
यह भी पढ़ें : UP Weather Alert: दशहरे से पहले बारिश का कहर, यूपी में 30 सितंबर तक येलो अलर्ट