चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास का क्षेत्र, जहां किसी भी ऊंचे निर्माण पर सख्त रोक है, वहां अब बेतरतीब तरीके से बहुमंजिला इमारतें, होटल, प्राइवेट हॉस्पिटल और बड़े-बड़े होर्डिंग्स खड़े हो गए हैं। यह सभी निर्माण नो कंस्ट्रक्शन और लो-हाइट जोन में स्थित हैं, जो कि एविएशन सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत खतरनाक माने जाते हैं।
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रनवे के रास्ते में रुकावटें, पायलट्स ने जताई चिंता
सूत्रों के अनुसार, कई पायलटों ने टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान कम विजिबिलिटी और संरचनात्मक अवरोधों की शिकायत की है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भी समय-समय पर रिपोर्ट मिलती रही हैं कि कुछ इमारतें और होर्डिंग्स एयरपोर्ट की सेफ्टी लिमिट को पार कर रही हैं।
बिना अनुमति के बने बहुमंजिला होटल और अस्पताल
AAI और DGCA के नियमों के तहत एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का ऊंचा निर्माण करने के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य है। इसके बावजूद कृष्णा नगर, अमौसी और सरोजिनी नगर जैसे क्षेत्रों में बिल्डरों ने बिना हाइट क्लियरेंस के ही निर्माण कार्य पूरे कर लिए।
प्रशासन मौन, सुरक्षा को नजरअंदाज़
हालांकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कई बार स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नगर निगम और विकास प्राधिकरण के बीच दायित्व तय न होने के कारण फाइलें दबा दी गईं।
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कोर्ट का रुख संभव
विमान सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला हाईकोर्ट या नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तक पहुंच सकता है। इससे पहले दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में भी इसी प्रकार की अवैध इमारतों को कोर्ट के आदेश पर गिराया गया था।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन होटलों और अस्पतालों ने न सिर्फ ट्रैफिक बढ़ा दिया है, बल्कि हवाई यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में डाल दी है। “अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”यह सवाल क्षेत्र के कई निवासी उठा रहे हैं।
एविएशन सेफ्टी के मानकों के साथ खिलवाड़ करना केवल नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि हजारों यात्रियों की जान जोखिम में डालना है। ज़रूरत है कि लखनऊ प्रशासन तत्काल प्रभाव से इन निर्माणों की जांच कर कार्रवाई करे और दोषियों को उत्तरदायी ठहराए।
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