लखनऊ में ऑपरेशन सिंदूर में शामिल एक जवान के प्लॉट पर कथित रूप से पुलिस इंस्पेक्टर और भू-माफिया द्वारा कब्जा करने की कोशिश के विरोध में परिवार के साथ जवान विधानसभा पहुंच गया। परिवार के सदस्यों ने हाथों में तख्ती लेकर यह संदेश दिया कि सैनिक की जमीन भूमाफिया और पुलिस से बचाओ।
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सैनिक की पहचान मनोज कुमार के रूप में हुई, जो पीजीआई के देवी खेड़ा गांव पवन पुरी कॉलोनी के रहने वाले हैं और 45 आरआर कुपवाड़ा में हवलदार पद पर तैनात हैं। उनका दावा है कि वह ऑपरेशन सिंदूर में शामिल थे।
परिवार ने विधानसभा में की प्रदर्शन
मनोज कुमार अपनी पत्नी पूजा, मां और चाचा के साथ विधानसभा पहुंचकर आत्महत्या की धमकी दी। उनके हाथों में तख्तियों पर लिखा था कि उनका प्लॉट इंस्पेक्टर और भूमाफिया से सुरक्षित किया जाए।
मनोज ने कहा कि पीजीआई इलाके में उनका प्लॉट है, जिस पर फतेहपुर में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।
पत्नी का आरोप
मनोज की पत्नी पूजा ने बताया:
“पति ने डिफेंस कॉलोनी तेलीबाग में जमीन ली थी। इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह जबरदस्ती कब्जा कर रहे हैं, जबकि उनकी रजिस्ट्री फर्जी है। हमने हर जगह गुहार लगाई, लेकिन मदद नहीं मिली। हमारे बच्चे अब खाने के लिए भी मोहताज हैं।”
पूजा ने कहा कि पीजीआई थाने, मुख्यमंत्री पोर्टल, जनता दरबार और पुलिस उपायुक्त तक जाने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ।
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20 दिन से न्याय के लिए भटक रहे हैं परिवार
पूजा ने बताया कि उनका पति ऑपरेशन सिंदूर में शामिल था और देश की सेवा कर रहे हैं। पिछले 20 दिनों से न्याय के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं, लेकिन इंस्पेक्टर लगातार जमीन पर निर्माण करवा रहा है।
मनोज ने कहा:
“सेना के कमांडर ऑफिसर ने लिख कर दिया कि निर्माण रुकना चाहिए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। डीएम भी कहते हैं कि मेरे पास अथॉरिटी नहीं है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, घर वापस नहीं जाऊंगा।”
सैनिक की गुहार
मनोज कुमार ने अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई कि उनका प्लॉट सुरक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने छुट्टी लेकर घर आकर न्याय के लिए कदम उठाया है।
इंस्पेक्टर का कहना है कि अभी उनका कोई मामला सिविल कोर्ट में नहीं चल रहा है।
स्थिति गंभीर, प्रशासन पर दबाव
परिवार ने विधानसभा में सुसाइड की धमकी देकर न्याय की मांग की।
अधिकारी और प्रशासन इस मामले में तुरंत कदम उठाने की स्थिति में हैं।
सैनिक का कहना है कि उनके प्लॉट पर निर्माण रुकवाना और अधिकार सुरक्षित करना उनका प्राथमिक हक है।
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