भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी बाल लीलाओं से होता उद्धार -अर्द्धमौनी

मुरादाबाद, एनआईए संवाददाता।पंचायती मन्दिर, नबाबपुरा में आयोजित “श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह” के चतुर्थ दिवस कथा व्यास आचार्य धीरशान्त अर्द्धमौनी ने बताया कि भगवान के अनन्त अवतरण एवं उनकी दिव्यलीलाओं के श्रवण मात्र से मनुष्य आनन्द धाम में सुवासित करता है।
महाराज पृथु ने श्रीभगवान्‌ से कहा -आप वर देने वाले ब्रह्मादि देवताओं को भी वर देने में समर्थ हैं।आपकी माया से ही मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप आपसे विमुख होकर अज्ञानवश अन्य स्त्री-पुत्रादि की इच्छा करता है। कोई भी बुद्धिमान् पुरुष आपसे देहाभिमानियों के भोगने योग्य विषयों को कैसे माँग सकता है। वे तो नारकी जीवों को भी मिलते ही हैं। “मेरी तो यही प्रार्थना है कि आप मुझे दस हजार कान दे दीजिये, जिनसे मैं आपके लीलागुणों को सुनता ही रहूँ। अमृत-कणों को लेकर महापुरुषों के मुख से जो वायु निकलती है, उसी में इतनी शक्ति होती है कि वह तत्त्व को भूले हुए हम कुयोगियों को पुन: तत्त्वज्ञान करा देती है, अतएव हमें दूसरे वरों की कोई आवश्यकता नहीं है।
यदि पाप, भगवान् से ज्यादा प्रबल हैं तो जीव का उद्धार ही नहीं होगा, परंतु कितना ही ठसाठस भरा हुआ अँधेरा हो, प्रकाश होते ही सब नष्ट हो जाता है। आपको बाधा दे, ऐसी पाप में शक्ति नहीं है, रुपये अच्छे लगते हैं, बेटा-बेटी अच्छे लगते हैं, आदर-सत्कार अच्छा लगता है, यह बाधा है।
सत्संग की बातें तो सुनते हैं, पर धन, मान-बड़ाई, आदर-सत्कार आदि को पकड़े-पकड़े।
शरीरादि वस्तुएँ ‘अपनी’ तो हैं ही नहीं, ‘अपने लिये’ भी नहीं हैं। यदि ये अपने लिये होतीं, तो इनकी प्राप्ति से हमें पूर्ण तृप्ति या सन्तोष हो जाता। पूर्णता का अनुभव भगवान् के मिलने पर होता है, जो वास्तव में अपने हैं।भगवान् ने मनुष्य को शरीरादि वस्तुएँ इतनी उदारतापूर्वक और इस ढंग से दी हैं कि मनुष्य को ये वस्तुएँ अपनी ही दीखने लगती हैं। जो वस्तुएँ अपनी नहीं हैं, उस भूल को मिटाने के लिये साधक अध्यात्मचित्त से गहरा विचार करके उन्हें भगवान् के अर्पण कर दे।
व्यवस्था में कथा में व्यवस्था में हरिओम शर्मा, किशन प्रजापति, माधव कान्ता देवी दासी, अंकित पण्डित, राम गोपाल, विपनेश गुप्ता, अमित शर्मा, पवन अग्रवाल, सुधा शर्मा, जगदीश यादव, देवांश अग्रवाल, ममता रानी, महालक्ष्मी देवी दासी, पं० अनिल भारद्वाज, मधुरिमा जौहरी आदि सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे।

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