मुंबई। वोडाफोन के शेयर में तेजी-एक हफ्ते में शेयर 30 फीसदी, एक महीने में 35 फीसदी, तीन महीने में 11 फीसदी, वहीं, जनवरी 2025 में शेयर ने 26 फीसदी का रिटर्न दिया है। एक साल में शेयर -33 फीसदी टूटा है। अब क्या हो रहा है- वोडाफोन आइडिया के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 में कंपनी की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें AGR बकाया की फिर से कैल्युलेशन की मांग की गई थी।
इससे कंपनी पर लगभग ₹70,300 करोड़ का बकाया बना रहा। वोडाफोन आइडिया के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 में कंपनी की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें AGR बकाया की फिर से कैल्युलेशन की मांग की गई थी। इससे कंपनी पर लगभग ₹70,300 करोड़ का बकाया बना रहा। इसके बाद सरकार ने दूरसंचार कंपनियों की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए, स्पेक्ट्रम बकाया के भुगतान पर दो साल की मोहलत दी थी, लेकिन AGR बकाया पर कोई राहत नहीं दी। लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार AGR बकाया को लेकर राहत दे सकती है।
रिपोर्टों के बीच कि सरकार वोडाफोन, आइडिया लिमिटेड और भारती एयरटेल लिमिटेड के लिए एजीआर बकाया का एक बड़ा हिस्सा माफ कर सकती है। ब्रोकरेज हाउस सिटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्हे उम्मीद है कि इस कदम से दोनों दूरसंचार कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है। 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है। एक महत्वपूर्ण गेम-चेंजर हो सकता है, खासकर वोडाफोन आइडिया के लिए, जो अपनी एजीआर देनदारियों से जूझ रही है।
सरकार एजीआर बकाया से जुड़े 50% ब्याज और 100% जुर्माने को माफ करने पर विचार कर रही है, जबकि मूल राशि बरकरार रहेगी। वोडाफोन आइडिया के लिए, इसका मतलब 52,000 करोड़ रुपये की संभावित राहत हो सकती है। जिससे उसकी बकाया एजीआर देनदारी का लगभग 75% और कुल कर्ज का लगभग 25% कम हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप वोडाफोन आइडिया की इक्विटी में 7 रुपये प्रति शेयर की संभावित बढ़ोतरी हो सकती है।
भारती एयरटेल के लिए, राहत लगभग 38,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो इसकी इक्विटी के लिए अनुमानित 4 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद है। आपको बता दें कि जब किसी शेयर (Share News) को सिर्फ खरीदने वाले होते हैं तो शेयर एक तय सीमा, 5 फीसदी या 10 फीसदी या 15 फीसदी या 20 फीसदी तक बढ़ने के बाद उसमें ट्रेडिंग रुक जाती है। इसके उलट जब किसी शेयर को सिर्फ बेचने वाले होते हैं तो शेयर निचले सर्किट पर आ जाता है।
ये सीमा एक्सचेंज की ओर से तय की जाती है। इन्हीं लिमिट को एक्सचेंज समय- समय पर बदलता रहता है।