लखनऊ नगर निगम में महापौर से तीखी भिड़ंत के बाद भाजपा पार्षद मुकेश सिंह मोंटी की नाराज़गी अब पार्टी के भीतर सिरदर्द बन चुकी थी। सदन का नज़ारा तब और चौंकाने वाला रहा जब मोंटी BJP की बेंच छोड़कर सीधे समाजवादी पार्टी के पार्षदों के बीच जाकर बैठ गए। यह कदम संदेशों से अधिक सवाल पैदा करने वाला था—क्या भाजपा लखनऊ में अपना एक मजबूत, मुखर चेहरा खोने की कगार पर पहुँच चुकी थी?
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गुरुवार को इस राजनीतिक तनाव को कम करने के लिए BJP नेतृत्व ने बड़ा कदम उठाया। लखनऊ महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी वरिष्ठ पार्षदों के भारी-भरकम दल के साथ मोंटी के मौलवीगंज स्थित घर पहुँचे। वहाँ मीठाई खिलाकर नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया गया। संदेश साफ था— “पार्टी आपके साथ है, हम सब एक परिवार हैं।”
सवरते रिश्ते, बुझते सियासी ताप
इस मुलाकात में भाजपा के कई वरिष्ठ चेहरे मौजूद रहे—मुन्ना मिश्रा, रजनीश गुप्ता, अरुण तिवारी, रामकृष्ण यादव, शैलेंद्र वर्मा और अन्य कार्यकर्ता। पार्टी जानती है कि मोंटी सिर्फ एक पार्षद नहीं, जनता के मुद्दों पर मुखर आवाज़ हैं, और उनका गुस्सा संगठन में भूचाल ला सकता है। सफाई, सीवर, सड़क–नाली और नगर निगम की कार्यशैली पर उनकी सीधी टिप्पणी अक्सर सदन का माहौल गर्माती रही है। हाल के दिनों में उनकी नाराज़गी सार्वजनिक हो चुकी थी और यही वजह थी कि भाजपा नेतृत्व एक्टिव मोड में आया।
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एक तरफ सियासी मनुहार, दूसरी तरफ ग्राउंड एक्टिविज़्म
इधर पार्टी मोंटी की नाराज़गी शांत करने में लगी थी, उधर महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी कैंट विधानसभा के बूथ 208 पर ‘कुंडी खटकाओ अभियान’ के तहत घर–घर पहुंचे। वहां उन्होंने मतदाताओं से संपर्क किया, एसआईआर फॉर्म भराने की अपील की और वोटर सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया समझाई। उनका संदेश सीधा था—“हर नागरिक का वोट लोकतंत्र की आत्मा है।” अभियान में कई मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई।
क्या है असली राजनीतिक संकेत?
इस पूरे घटनाक्रम ने भाजपा की स्थानीय राजनीति में दो बड़े संकेत दिए हैं–
भाजपा मोंटी जैसे मुखर और लोकप्रिय पार्षद को खोने की स्थिति में नहीं है।
संगठन मतदाता सूची प्रबंधन और जमीनी अभियान को बेहद गंभीरता से ले रहा है।
लखनऊ नगर निगम की राजनीति में यह साफ़ दिखाई दे रहा है कि “खामोशी से काम” और “सियासी तकरार” दोनों एक साथ चल रहे हैं।
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