भगवद् कथा में आचार्य धीरशान्त अर्द्धमौनी ने कहा, भगवान के गुणश्रवण से होता है आत्मकल्याण

मुरादाबाद, एनआईए संवाददाता।
पंचायती मंदिर, नबाबपुरा में चल रहे “श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह” के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास आचार्य धीरशान्त अर्द्धमौनी ने भक्तों को भगवान की दिव्य लीलाओं और भक्तिरस से ओतप्रोत प्रवचनों द्वारा भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान के अनन्त अवतारों और लीलाओं का श्रवण मात्र से मनुष्य आनंदधाम को प्राप्त करता है।

प्रकृति से विमुख हो जाता है जीव

कथा के दौरान उन्होंने पृथु महाराज और श्रीहरि संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ब्रह्मा आदि देवताओं को भी वर देने में समर्थ हैं, किन्तु माया के प्रभाव में आकर जीव अपने वास्तविक स्वरूप से विमुख होकर भोग-विलास में पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति भगवान से सांसारिक सुख नहीं, बल्कि भगवद्गुणों के श्रवण की क्षमता मांगता है।

“हे प्रभो! मुझे दस हजार कान दे दीजिए, जिससे मैं केवल आपके लीलाओं को ही सुन सकूं।”

पाप नहीं है भगवान से अधिक शक्तिशाली

कथा व्यास ने कहा कि यदि पाप भगवान से अधिक शक्तिशाली होते, तो किसी भी जीव का उद्धार न हो पाता। परन्तु जैसे घना अंधकार दीपक की रोशनी से नष्ट हो जाता है, वैसे ही भक्ति और सत्संग से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। धन, मान, पुत्र, सम्मान आदि को हम पकड़ कर रखते हैं – यही मुक्ति में बाधा हैं।

जो वस्तुएँ अपनी नहीं, उन्हें भगवान को अर्पित करें

आचार्य जी ने कहा कि शरीर और संसाधन न तो अपने हैं, न अपने लिए, इनसे संतोष कभी नहीं मिल सकता। केवल भगवान की प्राप्ति से ही पूर्णता का अनुभव होता है। इसलिए जो वस्तुएँ हमें मिली हैं, उन्हें ईश्वर को अर्पित करना ही साधना का मार्ग है।

व्यवस्था में जुटे रहे सैकड़ों भक्त

कार्यक्रम की सफल व्यवस्था में हरिओम शर्मा, किशन प्रजापति, माधव कान्ता देवी दासी, अंकित पण्डित, राम गोपाल, विपनेश गुप्ता, अमित शर्मा, पवन अग्रवाल, सुधा शर्मा, जगदीश यादव, देवांश अग्रवाल, ममता रानी, महालक्ष्मी देवी दासी, पं. अनिल भारद्वाज, मधुरिमा जौहरी आदि का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। कथा में सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति रही और वातावरण पूर्णतः भक्तिमय बना रहा।

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