जल जीवन मिशन: घोटाले में नफा किसे और नुकसान किसका, 1000 करोड़ का प्रचार घोटाला

लखनऊ, एनआईए संवाददाता।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रचार-प्रसार से जुड़ी योजनाओं में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। मिशन से जुड़ी जिन कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ठेके दिए गए थे, उनमें से कई कंपनियां फर्जी पतों पर संचालित पाई गई हैं। लखनऊ, नोएडा और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जिन जगहों को कंपनियों के ऑफिस के रूप में दिखाया गया था, वहां न तो कोई दफ्तर मिला, न स्टाफ, न ही कोई गतिविधि।

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सरकारी दस्तावेजों में सब कुछ ‘सही’ दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन एक चैनल की पड़ताल में सच्चाई सामने आ गई। 1000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रचार ठेके ऐसी कंपनियों को दे दिए गए, जिनका अस्तित्व जमीन पर नहीं दिखता।

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क्या है जल जीवन मिशन?
जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य 2024 तक हर ग्रामीण घर को नल से जल पहुंचाना है। इसके अंतर्गत न केवल निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर प्रचार अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

प्रचार के नाम पर फर्जीवाड़ा
इन प्रचार अभियानों को अंजाम देने के लिए विज्ञापन और प्रचार एजेंसियों को ठेके दिए गए। पर जांच में सामने आया कि जिन कंपनियों ने करोड़ों का बजट हासिल किया, उनके ऑफिस फर्जी पतों पर दर्ज थे। चैनल की टीम जब इन पतों पर पहुंची, तो वहां न बोर्ड था, न कर्मचारी, न कोई गतिविधि।

ठेका देने की प्रक्रिया पर उठे सवाल
यह खुलासा सरकारी सिस्टम की पारदर्शिता और जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर किन मानकों के आधार पर इन कंपनियों को इतना बड़ा कार्यभार सौंपा गया? क्या केवल दस्तावेज देखकर ठेका दे दिया गया? क्या किसी स्तर पर भौतिक सत्यापन नहीं किया गया?

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अब क्या आगे?
इस पूरे मामले को लेकर शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की घोषणा हो सकती है। यदि जांच निष्पक्ष तरीके से हुई तो कई बड़े नाम इसमें फंस सकते हैं।

जल शक्ति मंत्री और प्रमुख सचिव आईएएस अनुराग श्रीवास्तव की बर्खास्तगी की मांग तेज
जल जीवन मिशन के अंतर्गत यूपी में करोड़ों रुपये से बनीं पानी की चार टंकियों के ढहने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने इस गंभीर घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को बर्खास्त करने की मांग की है। अपने पत्र में ठाकुर ने जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को पद से हटाने की मांग की है। साथ ही, विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अनुराग श्रीवास्तव को भी तत्काल ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि जब तक विभागीय प्रमुखों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक जवाबदेही तय नहीं हो सकती।

जनता के सवाल
सवाल यह है कि जब अरबों की योजनाओं की नींव इतनी कमजोर हो, तो उसका लाभ किसे और नुकसान किसका?

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