मुरादाबाद ट्रैफ‍िक पुलिस और योगी सरकार पर भारी सपा व‍िधायक

लखनऊ, NIA संवाददाता। 

मुरादाबाद में ट्रैफिक नियमों की सख्ती क्या सिर्फ आम जनता के लिए है? सपा विधायक का बिना हेलमेट बाइक पर बैठे वायरल वीडियो ने योगी सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ दावे की हवा निकाल दी।उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पिछले कई सालों से एक बात दोहराती रही है-“कानून सबके लिए बराबर है। जीरो टॉलरेंस हमारी पहचान है।”

मगर मुरादाबाद में बिलारी के सपा विधायक का बिना हेलमेट बाइक पर बैठा वायरल वीडियो इस बड़े दावे के ठीक उलट खड़ा दिखाई देता है और चुभने वाला सवाल यह नहीं है कि विधायक ने नियम तोड़ा।

SIR के ख‍िलाफ लोगों को जागरूक करते सपा व‍िधायक (फाइल फोटो)

चुभने वाला सवाल यह है कि –

कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

जब एक आम नागरिक हेलमेट भूल जाए तो उसी समय मौके पर चालान काट दिया जाता है।
लेकिन एक विधायक पर-

न FIR

न चालान

न सार्वजनिक नोटिस

न पुलिस की एक पंक्ति की प्रतिक्रिया

यह चुप्पी ही सबसे ज्यादा बोलती है।

यह भी पढ़ें: लखनऊ विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का धमाका: पूर्व कुलपति पर गंभीर आरोप लगाने वाले तीन शिक्षक अब नोटिस के घेरे में

योगी सरकार के ट्रैफिक अभियान पर सबसे बड़ा तमाचा-नेता सड़क सुरक्षा को खेल बना दें और पुलिस मौन बैठी रहे

राज्य में इस समय यातायात माह चल रहा है।
स्कूलों में जागरूकता।
चौराहों पर फड़फड़ाते पोस्टर।
कड़े चेकिंग अभियान।

और उसी समय एक विधायक खुलेआम हेलमेट के बिना सवारी करते दिखें-तो सवाल सड़क सुरक्षा का नहीं,
सिस्टम की ईमानदारी का बन जाता है। हालांक‍ि न्‍यू इंड‍िया एनाल‍िस‍िस वायरल वीड‍ियो की पुष्‍टि‍ नहीं करता है।

यह भी पढ़ें: लखनऊ: इंदिरानगर सेक्टर-8 न‍िवासी रिकवरी एजेंट की हत्या !

सरकार जनता को संदेश देती है-
“नियम तोड़ोगे तो कार्रवाई होगी।”
लेकिन जनता अब पूछ रही है-
“क्या यह संदेश सिर्फ जनता के लिए है?”

यह भी पढ़ें: पर्यटन मंत्री का ‘पार्टनर’ बताकर भूमाफियाओं की दबंगई, सुनवाई न होने पर मां-बेटे ने मंत्री आवास के पास जहर खाकर दी जान देने की कोशिश

यह मामला व्यक्तिगत नहीं, संरचनात्मक है और सबसे ज्यादा चुभता भी यही है

अगर एक विधायक पर कार्रवाई नहीं होती,
तो यह कोई छोटी चूक नहीं।
यह इस बात का प्रतीक है कि—

ट्रैफिक कानून का सम्मान व्यक्ति से नहीं, पद से तय हो रहा है।

पुलिस की सख्ती जनता के सामने दिखती है, नेता के सामने गायब हो जाती है।

जीरो टॉलरेंस सिर्फ स्लोगन बनकर रह गया है।

यही वह दर्द है जो जनता को खाए जा रहा है।

नेता नियम तोड़ें और प्रशासन चुप रहे-तो सरकार की साख पर सवाल उठना लाजमी है

सरकार के करोड़ों रुपये के जागरूकता अभियानों को चोट तब लगती है
जब वही नियम जिन पर सरकार जनता को डांटती है,
वही नियम जनप्रतिनिधि खुलेआम तोड़ते हैं।

लोगों के मन में एक ही प्रश्न गूंज रहा है-

“जब कानून का सम्मान सत्ता के दरवाजे पर ही रुक जाए,

तो इस राज्य में अनुशासन की बात कैसे की जाए?”

और ये सवाल योगी सरकार को भले न चुभे,
लेकिन जनता के मन में यह चुभन गहरी होती जा रही है।

NIA- उपरोक्‍त खबर के संदर्भ में कोई सुझाव आप newindiaanalysis@gmail.com पर दे सकते हैं। हम आपके सुझाव का स्‍वागत करते हैं। अपना मोबाइल नंबर जरूर साझा करें। NIA टीम के साथी आप से संपर्क करेंगे।

Scroll to Top