लविवि में हलचल: पूर्व कुलपति पर गंभीर आरोप, लैब के सिलेंडर से घर का खाना? विभाग चुप, प्रशासन खामोश

लखनऊ, NIA संवाददाता।

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को लेकर नए आरोपों ने परिसर की राजनीति गर्म कर दी है। विश्वविद्यालय के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि उनके कार्यकाल में और पद छोड़ने के बाद भी रसायन विज्ञान विभाग की लैब में आने वाले एलपीजी सिलेंडर कथित रूप से कुलपति आवास भेजे जाते रहे

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सबसे चौंकाने वाली बात-सूत्रों के मुताबिक हर महीने दो से तीन सिलेंडर पूर्व कुलपति आवास पहुँचते थे, जिन्हें घरेलू उपयोग में लिया जाता था। कुछ शिक्षक, नाम उजागर न करने की शर्त पर, कहते हैं कि “यह सब सीसीटीवी से साबित किया जा सकता है।” हालांकि इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

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रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. शर्मा ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा-
“मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं है।”
लेकिन विभाग के भीतर का माहौल बताता है कि सब कुछ उतना सरल नहीं।

सूत्र यह भी दावा करते हैं कि पूर्व कुलपति आवास के बिजली बिल का भुगतान लंबे समय से नहीं किया गया, जबकि नियमों के अनुसार इसका भुगतान निवासी द्वारा किया जाना चाहिए। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिल रहा।

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उधर, प्रो. आलोक कुमार राय चार महीने पहले IIM कोलकाता के निदेशक नियुक्त हो चुके हैं, लेकिन उनका परिवार अभी भी लविवि के पूर्व कुलपति आवास में रह रहा है। संसाधनों के उपयोग को लेकर उठ रहे सवालों पर अभी तक विश्वविद्यालय का आधिकारिक बयान नहीं आया है

प्रो. आलोक कुमार राय से जुड़े आरोप-क्या कहा, किसने कहा?

1. आरोप किसने लगाए?

  • विश्वविद्यालय के अंदरूनी सूत्रों और कुछ शिक्षकों ने।

  • सभी दावे अप्रमाणित हैं; कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं।

2. आरोप क्या हैं?

  • रसायन विज्ञान विभाग की प्रयोगशाला में आने वाले एलपीजी गैस सिलेंडरों का कथित उपयोग पूर्व कुलपति के आवास में।

  • स्रोतों का दावा—2–3 सिलेंडर प्रति माह आवास भेजे जाते थे।

  • आरोप कि कुलपति पद छोड़ने के बाद भी सप्लाई जारी रही।

  • बिजली बिल का भुगतान न किए जाने का भी दावा।

3. विभागीय प्रतिक्रिया

  • रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. शर्मा ने कहा—
    “ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं है।”

4. क्या प्रमाण उपलब्ध?

  • आरोप लगाने वाले शिक्षकों के अनुसार,
    “सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि संभव।”

  • अभी तक वितरण संबंधी कोई आधिकारिक दस्तावेज सार्वजनिक नहीं।

5. विश्वविद्यालय प्रशासन की स्थिति

  • अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं

6. वर्तमान स्थिति

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