जुर्माने से नहीं सुधर रही सफाई व्यवस्था, लखनऊ अब भी गंदगी में लिपटा

 लखनऊ, NIA ब्यूरो ।

“जुर्माना दो और फैलाओ मनचाही गंदगी।” यह वाक्य अब लखनऊ नगर निगम की सफाई व्यवस्था की हकीकत बयां करता है।
शहर की सफाई का ठेका जिन एजेंसियों को दिया गया है, वे जुर्माना भरने में तो तेज हैं, लेकिन सफाई सुधारने में नहीं।
जुर्माने की रसीद को बकाया दिखाकर ये एजेंसियां फिर वही गंदगी फैलाने लगती हैं, जबकि अफसर हर बार जुर्माना लगाकर “सफल कार्रवाई” का दावा कर लेते हैं।

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जोन-3 में औचक निरीक्षण, गंदगी के ढेर और नदारद सुपरवाइजर

शहर की स्वच्छता व्यवस्था में सुधार लाने के लिए बुधवार को नगर निगम लखनऊ ने जोन-3 में औचक निरीक्षण अभियान चलाया।
जोनल सेनेटरी अधिकारी मनोज यादव के नेतृत्व में कई वार्डों का निरीक्षण किया गया, जहां सफाई में लापरवाही पर तीन एजेंसियों पर जुर्माना लगाया गया।

विवेकानंदपुरी में कचरे के ढेर, आकृति एंटरप्राइजेज पर ₹10,000 जुर्माना

विवेकानंदपुरी वार्ड में पुल से अस्पताल मार्ग तक सड़कों पर कचरे के ढेर मिले।
नालियां और खाली प्लॉट गंदगी से भरे पाए गए।
बीट इंचार्ज ने माना कि सफाई सिर्फ सप्ताह में एक बार की जाती है।
इस पर आकृति एंटरप्राइजेज पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया गया और दो दिन में सफाई सुधारने के निर्देश दिए गए।

सीतापुर रोड पर गंदगी, स्वच्छता अभियान प्रा. लि. पर ₹5,000 जुर्माना

सीतापुर रोड, मौसमबाग और जीवन अस्पताल के पास सड़कों पर कचरा और पॉलीथीन के ढेर मिले।
पर्याप्त सफाईकर्मी न होने और लापरवाही पर लखनऊ स्वच्छता अभियान प्रा. लि. पर ₹5,000 का अर्थदंड लगाया गया।

जानकीपुरम द्वितीय में गंदगी, सुपरवाइजर गायब — ₹20,000 जुर्माना प्रस्तावित

जानकीपुरम द्वितीय वार्ड में सड़कें और डिवाइडर गंदगी से पटी मिलीं।
सुपरवाइजर विशाल मौके से अनुपस्थित पाए गए।
लगातार लापरवाही पर संस्था पर ₹20,000 का जुर्माना प्रस्तावित किया गया।

अवैध कूड़ा ढोने वालों पर कार्रवाई

निरीक्षण के दौरान सहारा स्टेट गेट नंबर-1 के पास दो अवैध रिक्शा ट्रालियां पकड़ी गईं।
दिलदार, अलीमुद्दीन और फजल हक की ट्रालियां जब्त कर शंकर नगर पानी की टंकी पर खड़ी कराई गईं।

नगर निगम का सख्त बयान

“शहर की स्वच्छता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जो भी एजेंसी या व्यक्ति सफाई कार्य में लापरवाही करेगा, उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
— नगर निगम लखनऊ अधिकारी

सवाल उठते हैं…

हर बार निरीक्षण में वही गंदगी क्यों मिलती है?

जुर्माना लगने के बाद भी एजेंसियां काम में सुधार क्यों नहीं करतीं?

अफसर जुर्माना वसूलने को “उपलब्धि” मानकर आगे क्यों बढ़ जाते हैं?

स्वच्छता पर करोड़ों का बजट खर्च होने के बावजूद शहर की गलियां कचरे से अटी रहती हैं।
ऐसे में “औपचारिक कार्रवाई” से अधिक जरूरी है सतत निगरानी और ठोस जिम्मेदारी तय करना।

मुख्य बिंदु एक नजर में

जोन-3 में औचक निरीक्षण अभियान
तीन सफाई एजेंसियों पर ₹35,000 जुर्माना
सुपरवाइजर अनुपस्थित, लापरवाही बरकरार
दो अवैध कूड़ा ट्रालियां जब्त
निगम ने दो दिन में सुधार के निर्देश दिए

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