हर साल की तरह इस वर्ष भी दीपावली का पर्व पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व इस बार 20 अक्टूबर (सोमवार) को पड़ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी।
प्रदोष और वृषभ काल के संयोग से यह दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए अत्यंत शुभ रहेगा।
लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार दीवाली 2025 पर मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ समय शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक रहेगा। यह अवधि कुल 1 घंटा 11 मिनट की होगी।
ज्योतिष के अनुसार, प्रदोष काल और वृषभ काल के संयोग में पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक
वृषभ काल: शाम 07:08 बजे से रात 09:03 बजे तक
इसके अतिरिक्त, निशीथ काल में पूजन को भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस वर्ष निशीथ काल रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक रहेगा।
दीवाली पूजा के अन्य शुभ चौघड़िया मुहूर्त
| मुहूर्त | समय |
|---|---|
| अपराह्न (चर, लाभ, अमृत) | 3:44 PM – 5:46 PM |
| सायाह्न (चर) | 5:46 PM – 7:21 PM |
| रात्रि (लाभ) | 10:31 PM – 12:06 AM |
| उषाकाल (शुभ, अमृत, चर) | 1:41 AM – 6:26 AM (21 अक्टूबर) |
दीवाली पूजा विधि (Lakshmi Puja Vidhi)
दीवाली की पूजा मुख्यतः श्री गणेश और माता महालक्ष्मी को समर्पित होती है।
पूजा से पहले घर की साफ-सफाई कर सजावट करें और दरवाजे पर रंगोली व दीप जलाएँ।
पूजन के प्रमुख चरण:
स्थान की शुद्धि व सजावट — उत्तर-पूर्व दिशा में लाल या पीला कपड़ा बिछाकर चौकी रखें।
कलश स्थापना — कलश में जल, सुपारी, सिक्के और आम के पत्ते रखें, ऊपर नारियल रखें।
गणेश पूजन — “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र से भगवान गणेश की पूजा करें।
लक्ष्मी पूजन — “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र से माता लक्ष्मी की आराधना करें।
खाता-बही पूजा — व्यापारिक लोग नए खाते और तिजोरी की पूजा करते हैं।
आरती और दीपदान — “जय लक्ष्मी माता” और “जय गणेश देवा” आरती के साथ पूजन पूर्ण करें।
दीपदान — घर, आंगन और मुख्य द्वार पर दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करें।
पूजा सामग्री सूची (Samagri List)
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, कलश, नारियल, चावल, फूल, सुपारी, पान के पत्ते, रोली, हल्दी, अगरबत्ती, कपूर, दीपक, घी या तेल, मिष्ठान्न, सिक्के, गंगाजल, और नए खाते पूजा में उपयोग किए जाते हैं।
दीवाली का महत्व (Significance of Diwali)
दीवाली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
वहीं, यह दिन माता लक्ष्मी के समुद्र मंथन से प्रकट होने का भी प्रतीक है। इसलिए इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा का विशेष महत्व है।
दीवाली की रात को दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में समृद्धि, सुख और सौभाग्य का आगमन होता है।
ज्योतिषाचार्यों की सलाह
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि इस वर्ष अमावस्या तिथि में प्रदोष और वृषभ काल का संयोग बना है, जो लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
इस काल में श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस वर्ष की दीवाली (20 अक्टूबर 2025) सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 07:08 से 08:18 बजे तक रहेगा।
पूजा के दौरान विधि-विधान और मंत्रों का पालन कर मां लक्ष्मी से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करें।
“दीपों से जगमगायें घर-आँगन, लक्ष्मी-गणेश का हो आगमन।”
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