देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ों में बर्फबारी के साथ ही ठंड की शुरूआत हो चुकी है. इस मौसम में वन विभाग लोगों को भालू से भी सतर्क रहने की सलाह दे रहा है. दरअसल, उत्तराखंड में इस साल इस साल अभी तक भालू के हमलों में 31 लोग घायल हो चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर तक ये आंकडा 41 था, बीते साल भालू के हमले में एक मौत भी हुई थी. ये आंकड़ा अगर आप देखेंगे तो अधिकांश घटनाएं, शीतकाल के दौरान ही हुई हैं.
यहां बता दें कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शीतकाल में बर्फबारी और भोजन की कमी के कारण भालू निचले क्षेत्रों का रुख करने लगते हैं. उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा कहते हैं कि ठंड का यही सीजन भालुओं के हाइबरनेशन में जाने का भी समय होता है. हाइबरनेशन में जाने से पहले भालू अपने लिए भरपेट भोजन जुटाते हैं और भोजन की तलाश में आबादी क्षेत्रों में आने से कॉन्फ्लिक्ट बढ़ जाता है.
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भालुओं के हाइबरनेशन में जाने के समय में भी भारी कमी देखी गई है. पहले जहां शीतकाल में भालू हाइबरनेशन (शीत कालीन निष्क्रियता) में चले जाते थे. लेकिन, अब देखा जा रहा है कि उनकी टाइमिंग में बेहद कमी आ रही है. समीर सिन्हा कहते हैं कि मौसम चक्र में बदलाव के कारण भी ऐसा हो सकता है.
समीर सिन्हा के अनुसार, इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि शीतकाल के अधिकांश समय भोजन के तलाश में भालू जंगल से लगे आबादी क्षेत्रों में मंडराते रहते है और मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट (पशु संघर्ष) की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इसके लिए वन विभाग भी लोगों को सतर्क कर रहा है.वन विभाग का कहना है कि पहाड़ों में खासकर जंगल से लगे आबादी क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है.