लखनऊ: अपने काले कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले पशुपालन विभाग के पूर्व निदेशक इंद्रमणि के खिलाफ भले ही शासन ने अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश जारी कर दिया हो. मगर पूर्व निदेशक इंद्रमणि ने ही अकेले इस तरह का खेल नहीं किया है,बल्कि और भी निदेशक है, जिन्होंने इस तरह का खेल किया है. मगर सेटिंग-गेटिंग की वजह से वह सेवानिवृत्त होने के बाद भी लाभ ले रहे हैं।
यहां हम आपको बता दें कि पशुपालन विभाग में वर्ष 2021-2022 में दवा एवं अन्य सामग्री खरीदी गई थी, जिसमे क्रय समिति में शामिल अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद जांच हुई तो पकड़ में आया कि जुलाई माह तक ही 65 करोड़ में से करीब 50 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए थे. इसमें मास्क आदि ज्यादा दामों पर खरीदे गए. कोल्ड बॉक्स (वैक्सीन कैरियर) के दामों को भी बढ़ी दर पर खरीदा गया. जो कोल्ड बॉक्स जम्मू में 59000 रुपये में, मध्य प्रदेश में 47250 रुपये प्रति पीस की दर पर खरीदे गए थे वे यूपी में 127770 रुपये की दर पर खरीदे गए. एक ही सामग्री को दो बार अलग अलग दरों पर खरीदा गया.दोनों में काफी अंतर रहा.वैक्सीन की आपूर्ति राजधानी इंटरप्राइजेज ने की.
वहीं खरीद जेम पोर्टल के जरिए हुई और भुगतान मैन्युअल किया गया. इस प्रकरण में तीन निदेशकों (रोग नियंत्रक) इंद्रमणि, जिलेदार सिंह, जीवन दत्त एवं अपर निदेशक जेपी वर्मा का नाम सामने आया था. अपर निदेशक जेपी वर्मा को चार्जशीट दिया गया है. वह अभी सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं. सचिव प्राविधिक शिक्षा एम. देवराज को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है.
जांच होने पर फंसेगी क्रय समिति में शामिल लोगों की गर्दन
विभाग के सब से ऊंचे ओहदे पर बैठे अफसर ने अगर निदेशकों के कार्यकाल और क्रय समिति की विधिवत जांच करवाई तो कई और निदेशकों व क्रय समिति में शामिल लोगों की गर्दन फंस सकती है. लोगों को तथाकथित विभाग के सब से ऊंचे ओहदे पर बैठे तथाकथित ईमानदार अफसर की ईमानदारी का इंतजार है.