विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे का आदेश भी लाल फीताशाही की भेंट चढ़ा
350 दुधारू भैंसों को कटने के लिये भेजा गया नागालैंड
लखनऊ।
सेटिंग से मनचाही पोस्टिंग पाने वाले अफसर की कभी-कभी हिमाकत इतनी बढ़ जाती है, कि वह खुद को विभाग का सर्वे-सर्वा समझने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं, पशुपालन विभाग मुरादाबाद के अपर निदेशक (ग्रेड-2) के रहते हुए उनकी छत्रछाया में 350 दुधारू भैंसों को कटने के लिए नागालैंड भेज जाने के मामले में। मुरादाबाद के सीवीओ अनिल कंसल अपना बचाव करते हुए कहते हैं जो दुधारू भैंसे नागालैंड भेजी गईं हैं। उसके लिए जिलाधिकारी ने लिखित में आदेश दिया था। पूरे प्रकरण में शासन ने कार्यवाही का आदेश भी कर दिया। बावजूद इसके मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
यहां बता दें कि नागालैंड में बड़े स्तर पर मांस का कारोबार होता है। वहां से दूसरे देशों में भी बड़े पशुओं के मांस को भेजा जाता है। इसके लिए नागालैंड के कारोबारी पशुओं का क्रय करते हैं। नियमानुसार पशुपालन विभाग को यह अधिकार नहीं है कि वह पशुओं को अपने यहां से दूसरे प्रांतों में कटने के लिये भेजे। दुधारू पशुओं को बिल्कुल भी नहीं। इसके बावजूद मॉनिटरिंग के लिये तैनात पशुपालन विभाग मुरादाबाद के अपर निदेशक (ग्रेड-2) की छत्रछााया में दुधारू 350 पशुओं को कटने के लिये नागालैंड भेज दिया गया। यह गंभीर प्रकरण जब शासन के संज्ञान में आया तो अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने जांच बैठा दी और घोर लापरवाही मानते हुए पशुपालन विभाग मुरादाबाद के अपर निदेशक (ग्रेड-2) तेज सिंह यादव के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दिया। साथ ही पशुधन विभाग के विशेष सचिव डॉ. देवेंद्र कुमार पांडेय को जांच अधिकारी भी नामित किया। फिर भी अभी तक किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की गई है और भ्रष्टाचार से जुड़े इस मामले को दबाये जाने की पुरजोर कोशिश हो रही है।
देखिये, दुधारू पशुओं को नागालैंड भेजे जाने के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है और न ही मुझे किसी तरह का आदेश-निर्देश शासन स्तर से दिया गया है।
तेज सिंह यादव, अपर निदेशक (ग्रेड-2) मुरादाबाद मंडल, उ.प्र.