कविता : दफ्तरों के कर्मचारियों पर एक छोटी सी कविता
अल्पज्ञानी अंधेरा की कोशिश है राजनीति से उजाले को लगा दूँ ग्रहणपर उसे क्या मालूम, उसका तो नाम ही है
Read Moreन्यू इंडिया एनालिसिस
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