धर्म: लखनऊ में देवेंद्र मोहन “भैयाजी” के सत्संग में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
प्रभु सिमरन से उपजे विचार जीवन में शांति और ठहराव लाकर प्रकाश भर देते हैं
लखनऊ: प्रभु भक्ति से प्रेरित विचार जीवन के अंधियारे समाप्त कर देते हैं। प्रभु के सिमरन से मन में उपजे विचार मनुष्य के जीवन में शांति और ठहराव लाते हैं। दीपावली के मौके पर लखनऊ में विक्रम नगर स्थित स्वामी दिव्यानंद धर्मार्थ चिकित्सालय में देवेंद्र मोहन भैयाजी का सत्संग हुआ।
भैयाजी ने संगत से कहा कि मनुष्य जीवन बहुत खास है। परमात्मा की प्राप्ति के लिए अंतर्मुखी साधना यानी अंतर साधना से जुड़ना जरूरी है। 24 घंटे बहिर्मुखी साधनों में रहने से हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। बहिर्मुखी साधनों जैसे 2 मिनट दिया जलाना, 2 मिनट आंख बंद करके बैठना आसान है परंतु मन को एकाग्र करके बैठना मुश्किल है। संसार के कोई भी काम कीजिए तो माफ है लेकिन यदि हम खुद से नहीं जुड़े तो मनुष्य जीवन व्यर्थ है। संत का जन्म तो मानव को खुद से जोड़ने के लिए होता है। वही हमें मन को स्थिर करना और जीवन के सच्चे उद्देश्य से जोड़ने के लिए बताते हैं।
भैयाजी ने अपने सत्संग में कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। ये मौका छ सौ साल की तपस्या के बाद आया है। सनातनी हमेशा अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर चलते आए हैं। भैयाजी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की बागडोर भी इस समय एक योगी के हाथ में है। योगी आदित्यनाथ जो गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं उन्होंने अपने गुरुओं के संकल्प को पूरा करते हुए अयोध्या में ना सिर्फ भव्य दीपोत्सव की शुरुआत की बल्कि प्रदेश में रामराज लाने के लिए अपने गुरुओं की शिक्षाओं का ही सहारा लिया।
भैयाजी ने गुरु कृपा का महात्म बताते हुए कहा कि यह जीवन परमात्मा से जुड़ने के लिए है। देवी-देवता भी मानव जन्म के लिए तरसते हैं। मनुष्य जीवन भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि आध्यात्म को कमाने के लिए है। शरीर की बड़ाई सत्य को जानने के लिए है। आधे से ज्यादा समय गुजर चुका है, जो कमाया उसे चले जाना है। इस संसार को एक चेतन धारा चला रही है। उस चेतन धारा को जीते जी जान लेना ही जीवन हैं। जीवन चेतना की यह अमृत धारा स्वामी दिव्यानंद जी महाराज के आध्यामिक उत्तराधिकारी देवेंद्र मोहन भैया जी के सत्संग में भक्तों पर खूब बरसी।
भक्तिभाव से भरे सत्संगियों के बीच स्वामी जी को याद करते हुए भैया जी ने कहा कि इस मन को भागने से रोकना है। इसके लिये प्रतिदिन जब हम गुरु पर भरोसा करके प्रयास करते हैं तब जाकर एकाग्रता आनी शुरू होती है। जीवन में गुरु पर भरोसा होना चाहिए। भरोसा करके गुरु नाम से जुड़ना चाहिए। उस पर भरोसा करने से हमें निर्भय पद प्राप्त होता है।
जीवन में संतों की संगत और सत्संग बहुत जरूरी है। कृपाल सिंह जी महाराज कहते थे- जब हम गुरु की शरण में आ जाते हैं तो भरोसा धीरे-धीरे बनना शुरू हो जाता है। गुरु से जुड़ने से ही जीवन का महत्व समझ आता है। गुरु के पास समय व्यतीत करने पर हम शुभ कार्य शुभ कर्म करते हैं।
देवेंद्र मोहन भैया जी ने संगत को संकल्प कराया कि प्रतिदिन आधा घंटा ही प्रभु के आगे समर्पित होना है। ऐसा करने से हमारा भरोसा बढ़ता जाएगा। हमारे आध्यात्मिक कार्य से लेकर अन्य कार्य भी सुगमता से बनने लगेंगे। लखनऊ में भैयाजी के सत्संग आयोजन में समस्त साध संगत के साथ साथ सहज राम, शिव कुमार, राज किशोर, श्याम लाल, राज कुमार, रतन लाल, राजाराम, राकेश, अवधेश, बृजेश, अमित श्रीवास्तव, राजेंद्र कुमार के साथ महेश भाई और उनके सहयोगियों ने लंगर व्यवस्था में योगदान दिया।