अफसशाही की हठधर्मिता हावी, बैंक कर्मचारियों में है आक्रोश
बैंक के लाभ में होने के बावजूद नहीं जारी किया गया अभी तक बोनस संबंधी आदेश
निजी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को दे रही हैं बोनस
लखनऊ : जो राज्य कर्मचारी पूरी तरह से उत्तर प्रदेश सरकार पर आश्रित हैं। उन पर तो दया दृष्टि दिखाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली से पहले बोनस देने का एलान कर दिया है, मगर जो कर्मचारी अपने परिश्रम के दम पर जहां अपना वेतन निकालते हैं और अपनी मेहनत से ही संस्था को ऊंचाई पर ले जाते हैं, जिससे उनके प्रबंध निदेशक गर्व से सीना ठोंक कर उच्चस्तरीय बैठक में यह कह सकें उन्होंने संस्था को ऊंचाईयों पर पहुंचाया हैं, क्या उन्हें बोनस पाने का अधिकार नहीं है। आखिर उन्हें बोनस के अधिकार से वंचित क्यों किया जा रहा है? क्या वह राज्य सरकार के अंग नहीं हैं? क्या यह लाल फीताशाही नहीं है? जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड (एलडीबी) की।
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड (एलडीबी) की प्रगित रिपोर्ट पर अगर हम नजर डालें तो कर्मचारियों के अथक प्रयास के चलते बैंक दिन-प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। बैंक आंकड़े बताते हैं, बैंक लगातार ऋण वितरण और वसूली में पिछले कई वर्षों से अव्वल है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब 102.99 करोड़ के फायदे में बैंक है। फिर भी इस बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों को दीवाली पर बोनस दिये जाने की अभी तक घोषणा नहीं की गई,जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बोनस देने का एलान कर दिया है।
मंत्री न करायें सरकार की छवि धूमिल
लखनऊ: अपना हित साधने के लिए अफसरशाही बैंक में हावी है। बैंक के लाभ में होने के बावजूद प्रबंध निदेशक नहीं चाहते कर्मचारियों को बोनस मिले,क्योंकि उनको तो राज्य सरकार से बोनस मिल ही जाएगा। कम से कम उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री को बैंक कर्मचारियों के हित बारे में सोचना चाहिये। वह तो जमीन से जु़ड़े हुए नेता हैं।
साढ़े तीन हजार कर्मचारी गांव-गांव बनाते हैं सरकार की छवि
लखनऊ: बैंक में कार्यरत करीब साढ़े तीन हजार कर्मचारियों का गांव के किसानों से सीधा संपर्क होता है। वह कृषक मतदाताओं से सीधा तौर पर मिलते हैं। अगर इन कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया जाता है तो इनकी नाराजगी का असर ग्रामीण मतदाताओं में भी पड़ेगा।