तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में पीएम ने भारत को बताया दुनिया की एक नई उम्मीद

तिरुचिरापल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया में एक नई उम्मीद बनकर उभरा है और बड़े निवेशक देश में निवेश कर रहे हैं।
श्री मोदी ने यहां तिरुचिरापल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा,“आज भारत शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।” उन्होंने कहा,“आज भारत दुनिया में एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। बड़े-बड़े निवेशक देश में निवेश कर रहे हैं और इसका लाभ तमिलनाडु और देश की जनता को मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत प्रमुख बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज़ गति से आर्थिक विकास में रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने लोगों से अगली तिमाही में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“जब हम इसे विकसित राष्ट्र कहते हैं तो इसमें अर्थव्यवस्था और संस्कृति भी शामिल होती है। मैं तमिलनाडु में एक बड़ा योगदान देख सकता हूं।

श्री मोदी ने कहा कि जब तमिलनाडु तेजी से विकास करेगा तो भारत का विकास भी तेजी से होगा। उन्होंने कहा,“तमिलनाडु मेक इन इंडिया योजना का बड़ा ब्रांड एंबेसडर बन रहा है। श्री मोदी ने कहा कि केंद्र राज्य सरकारों पर अभूतपूर्व धन खर्च कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-2014 तक राज्यों को 30 लाख करोड़ रुपये की राशि दी गई, लेकिन हमारी (भारतीय जनता पार्टी) सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 120 लाख करोड़ रुपये दिए हैं। उन्होंने कहा,“हमने तमिलनाडु को 2004-2014 की तुलना में 2.5 गुना अधिक राशि दी है।

उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे, ऊर्जा, सड़क, रेलवे और पेट्रोलियम पाइपलाइन तक फैली लगभग 20,000 करोड़ रुपये की आज की विकास परियोजनाएं तमिलनाडु की प्रगति को बढ़ावा देंगी और हजारों रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगी। उन्होंने कहा,“पिछले एक साल में केंद्र सरकार के 40 से ज्यादा मंत्री 400 से ज्यादा बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं। जब तमिलनाडु तेजी से प्रगति करेगा तो देश भी तेजी से प्रगति करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को तमिलनाडु की जीवंत संस्कृति और विरासत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि उनके कई तमिल मित्र हैं और उन्हें उनसे तमिल संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला है।

उन्होंने कहा,“मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, तमिलनाडु के बारे में बात करने से खुद को नहीं रोक पाता। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में पवित्र ‘सेन्गोल’ स्थापित किया गया है, जो तमिल विरासत द्वारा देश को दिए गए सुशासन के मॉडल से प्रेरणा लेने का एक प्रयास है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और मछुआरों के जीवन में बदलाव के लिए बहुत काम किया है। इस अवसर पर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हवाई अड्डे न केवल यात्रा का माध्यम बनें, बल्कि हवाई अड्डे विकास का केंद्र बनें। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे पूरे देश के लिए रोजगार का केंद्र बनें, पिछले 9.5 वर्षों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस देश के प्रत्येक नागरिक के लिए नागरिक उड्डयन का लोकतंत्रीकरण किया है। उन्होंने कहा,“हवाई चप्पल पहनने वाले हर व्यक्ति को हवाई जहाज (विमान) में भी यात्रा करनी चाहिए, यही हमारे देश के लोगों के लिए प्रधानमंत्री की आकांक्षा है।” इससे पहले श्री मोदी ने कुल 20,140 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं का उद्घाटन किया, उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया और नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी। कार्यक्रम समाप्त करने के बाद श्री मोदी लक्षद्वीप के लिए रवाना हो गये, जहां वह 1,150 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और आधारशिला रखेंगे।

करीब 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित, तिरुचिरापल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दो-स्तरीय नया अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल भवन सालाना 44 लाख से अधिक यात्रियों और व्यस्त समय के दौरान लगभग 3500 यात्रियों को सेवा देने की क्षमता रखता है। नया टर्मिनल यात्री सुविधा के लिए अत्याधुनिक सुविधायें मुहैया कराएगा। प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर), कलपक्कम में प्रदर्शन फास्ट रिएक्टर ईंधन पुनर्प्रसंस्करण संयंत्र (डीएफआरपी) राष्ट्र को समर्पित किया।

डीएफआरपी 400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है जो एक अद्वितीय डिजाइन से सुसज्जित है। यह दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र है और तेजी से रिएक्टरों से निकलने वाले कार्बाइड तथा ऑक्साइड दोनों ईंधन को पुन: संसाधित करने में सक्षम है। यह पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किया गया है और इसका मतलब बड़े वाणिज्यिक पैमाने के फास्ट रिएक्टर ईंधन पुनर्संसाधन संयंत्रों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।