सिद्धार्थनगर के पूर्व भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के ‘मुस्लिम लड़कियां लाओ, नौकरी-खाना पक्का’ वाले बयान ने राजनीति का पारा चढ़ा दिया है। एक तरफ प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ‘नारी सम्मान’ के पोस्टर लगे हैं, दूसरी ओर पार्टी के ही नेता महिलाओं को लेकर ऐसे बाजारू तंज उछाल रहे हैं — यह विपक्ष के निशाने का तीर बन गया है।
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सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने संभल में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह वक्तव्य न सिर्फ भद्दा, बल्कि समाज को बांटने की सरकारी तकनीक का ताज़ा नमूना है। बर्क बोले— “नारी सम्मान की बातें करते-करते जब नेताओं पर कैमरा घूमता है तो उनका असली चेहरा सामने आ जाता है। इस बयान से भाजपा की सोच साफ हो गई है कि उनके लिए महिलाएं बस चुनावी भाषण का हिस्सा हैं।”

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सपा सांसद यहीं नहीं रुके। उन्होंने तंज कसा— “ऐसे बयान देने वाले को समाज की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्हें सीधे सरकार की नफरत फैक्ट्री में ट्रांसफर कर देना चाहिए, जहां हर दिन इसी तरह के उत्पाद तैयार होते हैं।” बर्क ने मांग की कि पूर्व विधायक पर संगीन धाराओं में मामला दर्ज हो और “जिंदगी भर सलाखों की धूप-छांव देखें, सत्ता की रौबदारी नहीं।”
विपक्ष का सवाल सीधा है
नारा ‘बेटी बचाओ’ है, लेकिन किससे? अगर ऐसे बयान जारी रहे तो जवाब भी जनता ही देगी।
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