नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत और श्रीलंका के सुरक्षा हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद हाउस में श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि हमारे सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। हमने रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देने का फैसला किया है।
हाइड्रोग्राफी पर सहयोग पर भी सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम इस बात पर सहमत हुए कि हमें इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण के साथ आगे बढऩा चाहिए। हमने श्रीलंका में निर्माण और सुलह के बारे में भी बात की। राष्ट्रपति दिसानायके ने उन्हें अपने समावेशी दृष्टिकोण के बारे में बताया। हमें उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और श्रीलंका के संविधान के पूर्ण कार्यान्वयन और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगी।
उन्होंने राष्ट्रपति दिसानायके को आश्वासन दिया है कि भारत कई मायनों में श्रीलंका के विकास के उनके प्रयासों में एक विश्वसनीय और भरोसेमंद भागीदार बना रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इसके तहत समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, साइबर सुरक्षा, तस्करी और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई, मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसे विषयों पर सहयोग बढ़ाया जाएगा। भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच आपसी संबंध हमारी सभ्यताओं से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हमने अपनी साझेदारी के लिए भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपनाया है। हमने अपनी आर्थिक साझेदारी में निवेश आधारित विकास और कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका ने भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा संपर्क को अपनी साझेदारी का आधार बनाने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच बिजली ग्रिड संपर्क और बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन स्थापित करने के लिए काम किया जाएगा।
इस सहयोग से उच्च क्षमता वाले पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन का निर्माण संभव होगा। इसके अतिरिक्त, एक बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन भी स्थापित की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अब तक श्रीलंका को 5 बिलियन डॉलर की ऋण और अनुदान प्रदान किया है। अगले पांच वर्षों में 1,500 श्रीलंकाई सिविल सेवकों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे उत्पादों का चयन हमेशा हमारे साझेदार देशों की विकास प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है।
मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका के लोगों से लोगों तक संबंध हमारी सभ्यताओं से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि जब भारत में पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया, तो श्रीलंका में भी उसकी खुशी मनाई गई। उन्होंने कहा कि फेरी सेवा और चेन्नई-जाफना उड़ान संपर्क ने पर्यटन को बढ़ावा दिया है और हमारे सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया है। हमने तय किया है कि नागपट्टिनम और कांकेसंथुराई फेरी सेवाओं की सफल शुरुआत के बाद अब भारत में रामेश्वरम और तलाईमन्नार के बीच फेरी सेवा शुरू की जाएगी।
श्रीलंका के बौद्ध सर्किट और रामायण ट्रेल के माध्यम से पर्यटन की अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए भी काम किया जाएगा।